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पडमचरित
समुग्मिया माया। जिणाहिसेय-यं । मलद-गन्दि-माला। सरा-भेस्सिालरी। स-दद्दुरा-रखुमा । स्उण्ड-बहनही । चवीस-स-कीसथा। पवीण षीण पाषिया । पसपिर-दण्ड-नम्बरा । सुराण णिवन्धर्ण । अमस्स सम्व-रक्लर्ण। को -रेणु-मेतयं । वणासहहि प्रश्चियं । सरस्सईएँ गाइयं ।
सियायषस चिन्धया ॥ समाइयं गहीरयं ॥५॥ हुहुम-तुका-काहला ॥६॥ देविन्याणिकसरी ॥७॥ स-साल-सङ्घ-संघरा ॥८॥ अपरक-मम्म-झिकिरी ॥९॥ क्षिा सत समासि-11:34 पडू खुशी सुहाविया ॥३॥ भणेय सेय चामर ।।१२|| कर्यच तेहि पेसणं | पहणेण पक्षणं ॥१४॥ महाधणेहि सिप्तयं ॥५॥ पराणाहि गभियं ।।१६ पउजिरहि वाइयं ॥१७॥
पत्ता
णरबह मामरि देपिणु गाहु णवेप्पिणु एछु खणन्तर ए कुमणु । रावणहत्या वाऍवि मालु गावि पुणु पारम्भइ जिण-हवशु ॥१८॥
आयतु ससु-सम्तापणेण । अहिलेउ जिणिन्दहाँ रावणेण ॥३॥ पहिलज जि भूमि-पक्खालणेण | पुणु मालग्गि-पजालणेण ॥२॥ भुवणिन्द-विन्द-परियोहणेण । अभिएण वसुग्घर-सोहणेण ॥३॥ वर-मैरूपीव-पक्खास्त्रगेण। अगोवाए रिव चालणेण(!) ॥४॥ कायनि-सेहर-बन्धणेण] कुसुमालि-परिमा-थावणेण ॥५॥ महि-संसण-कळस-णिरोहणेण। पुपरवि-पुकालि-पत्तप्रोण ॥६॥