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पउमचरिउ
अङ्ग दूसरों महत् ।
पाल-गील पयाग सइ समत्य ॥७॥
महुमह हणुषु हव बनाएँ । सुग्गीज कुहु मि पुजु विजय-कार्ले ' ॥८॥
घत्ता
५८
नं णिमुवि रामें शिग्गय-नामें अनड जोसिउ दूक्ष मरें ।
'भणु " किं विश्वारे समड कुमारं अअ वि रात्रण सन्धि करें" ॥९॥
अणु मिसन्देस
बुच्चइ "लक्सर चारु चारु ।
हि नासु ।
जइ सच्चड रयणास वहीं पुत्तु ।
हउँ लग्गत कुठे फक्खड़ आम
एत्तिय वि तो वि त भाउ बुद्धि
।
तं णिसुर्णेवि मड-डम
।
'दादिपट जासु जसु वाहु-दण्ढ सो दीण वय पहुच के
आहिँ आत्ताचे हिँ
वायर सुमन्त हुँ
जं सन्धि इच्छिय हुजूरेण हरि-यहिँ अमरिस कुए
।
[R]
बहु-दुष्णय वन्हों रावणासु ॥१॥
को परतिम लेन्ज
पुरिसयारु ॥२॥
तो एकाई वह
जु ॥ ३ ॥
पहुँ छम्मेंषि णिय वइदेहि ताम ॥ ४॥
अहिमाणु मुएप्पिणु करहि सम्धि" ॥५॥
वसा
गलिय-पया हि एउँ तुम्हइँ बाहिर सिंह | सन्धि करन्तहुँ अदन्ताह- शिवाड जिह' ॥१॥
वि
।
किमक्रिउ रामु जणणेण ॥५॥
असु व पुत्तिय णरवर पयण्ड ॥ ७ ॥ एक्कल करें सम्भाणु देव ॥ ८ ॥
[ ३ ]
तं वज्रावत-धगुदरेण ॥ १॥
सन्देस दिष्णु विरुद्धएण ॥ २ ॥