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पउमचरित
'अट्ट दिवस निणधरु जयकारहीं। अव दिवस महिमउ णीसारहों ।।२।। अट्ट दिवस णि-मवगइँ सारहों। अट्ट दिवस जीवाहूँ म मारहों ॥३॥ अट्ट दिवस समरङ्गणु छट्टहाँ। अटु दिवस इन्दिर-दणु दण्डहाँ ॥ अट्ट दिवस उबवास काजहों। अटु दिवस मह-दाणहूँ देजहाँ॥५॥ अट्ट दिवस अप्पाणउ मावहों। एयारह गुण-थाण, दावहाँ ॥६॥ भट्ट दिवस गुण-वयह पउञ्जहाँ। से जहाँ जजहाँ अणुहु जहाँ ।। अट्ट दिवस पिय-वयगई भासही। अणुवय-सिक्खादय पगासहौं ॥८॥ अव दियस आमेच्छहों मच्छरु। जाम्व पहु फग्गुण-गन्दीसह ॥१॥
घत्ता
पञ्चकवाणु लपहु सो वि तामरसाई
परिक्षणु सुणहाँ मणु खम्चा । सई भुए हिँ मखारट भमतों ॥१०॥
[७१. एकहत्तरिमो संधि ]
हरि-हलहर-गुण-गहहिं दूलहों वयणे हिं पहु पहरेवर परिहर । विजहें कारण रावणु ग-जगडावणु मन्ति-जिणालउ पइसरइ ।।
। [1] गन्दीसर-एहसार सारएँ। माहव-मासु गाई हकारएँ ॥१॥ सासय-सहु संपावणे पावणें । दरिसाविय-पुष्फ-ग्गुणें फरगुणें ॥२॥