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तं पिसुवि भहिं गलथलिउ | गख स पराहवु लङ्क पराइड ।
दुथ कहखण राम ज जाणहि तं वि
पउमचरित
टक्कर- पश्यि घाऍहि बलि ॥ ८॥ कदिउ 'देव हउँ कह विप घाउ ||९||
पट्टणें बोसण मि
अच्छमि साणारूड
घत्ता
ण करन्ति सन्धि उ बुतउ ।
आय खय-काल सिउ ॥१०॥
[ ११ ]
|| दुबई | सम्बु कुमारु जेहिं विनिवाइट घाइ खरु वि दूसणो । जेहिं महणी समुल्लङि पक्ष-ग्गाह भीसणी ||१||
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हस्थ-पहरथ जेहिं संचाइय । आणि जेहिं त्रिसला-सुन्दरि । तेहिं समाणु णव सोहर विग्गहु तं त्रिवि णरवइ चिन्ताविङ । 'होसड़ कंम कज्जु गाउ जाणमि किं पादमि समसुती पर-वलें ।
इन्दइ- कुम्मयण्ण विणिचाइय ॥२॥ झुंड जीवाचं लक्ष्ण- प्रेसर ॥३॥ लहु वइ देहि देहि मुर्गे सङ्ग' ||४|| महगावन्थ समुद्र व पावित ||५ किं उक्सन्धे बन्धेवि आणमि ॥६॥ किं सरधोराण लायमि हरि-वलें ॥७३३
जइ विस- साहस- मुहु समप्यमि । तो विण रामहों गेहिणि अप्पमि || अधु उबाट एक्कु जे साहमि ।
बहुरुवियि विज आराहमि ||१||
धत्ता
जीव भट्ट दिवस मम्मीसमि | सन्तिहरु पईसमि ॥१०॥
[१२]
॥ दुबई | एम मणेवि तेण क्रुद्ध जे च्छुड माहों ताएँ विगमे । घोसि पुरे मारि हिणव- फरगुण-मन्दीसरागमे ||१||
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