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________________ २२६ पडमचरित [ २ ] भाइपण मिष्टि परिशिय-मास । उप्पण्या मन्ति णाशयणासु ॥१॥ 'किं चलण-सहगई कोमलाई। णं अहिणवरत्तप्पलाई ॥२॥ किं ऊह परोप्परु मिष्ण-तेय। णं गणव-रम्मा-खम्म एष ॥३॥ कि कणय-शेर घोलइ विसालु । णं गं अहि रयण-णिहाण-पातु ॥४॥ किं तिबलिउ जढरें पधावियाउ। गं गं कामउरिहूँ खाइयाउ ॥५॥ किं रोमावलि घण कसण पुर। गंणं मयणमास-धूम-लेह ॥१॥ किं णव-यण पंकणय-कलस। किं करणं पारोह-सरिस ||७|| कि मायम्बिर कर-पल चहन्ति । णं असोय-पल्लव ललम्ति ।।।। कि आणणु णं ण चन्द्र-विम्यु। बहरत गं पाक-बिम्बु ।।५।। किं दसणायलिज स-मुसियाउ। गंगं मछिय-कलियउ इमाउ ।।६।। किंगण्डवास णे दलित-दाण । किलोयण पणे काम-धाण ॥३॥ कि भडह इमाउ परिट्ठियाउ। पम्मह-भगुलटियाउ ॥२॥ किं कपण कुपडल्लाहरण एय । णं रवि-ससि विरफुरिय-लेय।।१३।। कि माल गं णं ससहरवधु । किंसिरणं णे अलि-उल-णिवधु' धत्ता जाणेपिणु सम्बे हि सगऍदि स्वाससड महुमहशु । विष्णत किय अधि-इत्यहिं 'करें कुमार पाणि-गहणु' ॥14॥ [ २२ ] सा अम्बवन्त पणिउ कुमारु। 'फग्गुष्प-पत्रमि तहिं सुख-वारु ।। उसा-भासावड सिरि-जोग्गु । मण्णु विवाह धिक कुश्म-लग्गु ।।२।। एयारसमड गह-याा अनु। स-मणोहर सयस विषाह-कनु ॥३॥
SR No.090356
Book TitlePaumchariu Part 4
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages349
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size5 MB
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