________________
२०८
पउमचरित्र
मित्रासयति । पुणु दिट्ठ महाग तुङ्गम ।
असहन्ते वणदण-पत्रण-क्ष
स सुद्द्ध विसा
सन्तबाहि ॥७॥ करि-मयर-मच्छ ओहर-रउड || ४ ||
पुणु दिन पवाहिणि किरण | पुणु इन्द्रणील-कण्ठिय-धरेण ।
पुणु सरि मीमरहि जलोह-फार पुणु गोला
घन्ता
सह-किरण - दिवायरहो ।
जोड़ पसारिय सायरहों ||१||
[६]
किवि पति व महि-सिण || दक्खनिय समुद्दों भायरेण ॥२॥ जा सेउण - देसी अमिय-धार ॥२॥ सज्झेण पसारिणाएँ वाह || ४ || णं कुडिल-सहाव कामिणी ||५|| सजण मेति अलद्ध-धाह ||६||
मन्थर-पवाह ।
प्रणु वेण्णि पडव्हिड वाहिणीउ । पुणु तावि महाणइ सुप्पवाह । थोवन्तराखें पुणु विष् याइ । पुणु रेवा-ह हणुमूि
सीमन्त मिहिमि तगढ गाइ ॥ * ॥
स्वामिन्द्रिय रोस वलङ्गपुईि ॥८॥
'किं विपासि उषहि चारु । जो स-विसु किविणु अञ्चन्त खारु ॥ ९ ॥ निमच्छिय हयल- भोयरेण ॥१०॥
निसुर्णेवि सी-सोयरेण ।
घत्ता
जं चि मुबि गय सागरहों मा रूस रेवा-इहें । गिल्लीणु मुझइ सलोगु सरड्
णिय-सहाउ ऍड तियम है || ११||