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________________ १९६ पन तं साहिबइ-ल- पसरा । कोबग्गि-पलिप्स फुरियवयणा | गत पधाइय तक्खणेण । "खल खुद्द पाव दक्खबहि मुटु । सं पिसुर्णेष कोषणक - अछि से पम- मिड मग्गु वछु । । कह वि परोप्पर सम्यर्वे वि गिरिषरें जहर विन्दु जिह - कवि धणुहर-मेलिय सरेहिं । सम्वैदि णिप्पसरु णिरस्धु किउ । णास ि अरिवर-विहु घतिय धरणिय क्षणङ्गसरा । सु पण पुणब्बसु गीत-मउ | अलहन्त दत्त कृष्णहॅ तणिय । अन्तेवरु लिट विमण- मणु । अस्थाणु वि सोह ण देइ किह । कहिउ परिन्दद्दों किक्करेहि सिद्धि जेम गाणेण चिणु विजाहर पहरण गहियन्करा ॥ ॥ दट्ठाहर भू-मङ्गुन -जयणा ॥ ४ ॥ स- जल जलय गणणेण ॥ ५ ॥ कहिँ कण्ण ऐबिणु जाइ तुहुँ" ॥ ६ ॥ सी गन्द यह बलिउ ॥७॥ पाच भवसमें कम्य दलु ॥ ८ ॥ घत्ता स धयग्गु स हेइ स वाहणु । उत्थरि पडीधर लाइणु ॥१॥ [1] तिणमाणन्दही किरेहिं ॥१॥ पाडिउ विमाणु परिछिण्णु धड ॥ २ ॥ तं विसरेष्पिणु पण्णलडु ||३३| पणं सरय-मियतें मोण्ह वरा ॥४॥ पणं हरिणु सरासणि सासु गउ ||५|| किर विपत्त पुरि अप्पणिय || ६ || यं तुहिण- छिन्तु सयवन्त धणु ||७|| जोवणु विणु काम कहाऍ जिह ||८|| घत्ता "जलें भलें गयणयले गविगी । तिह अम्मूद्दि क्रष्ण ण दिट्ठी " ||९||
SR No.090356
Book TitlePaumchariu Part 4
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages349
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size5 MB
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