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पण्णासमो संधि
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[२] आपके वियोग में लक्ष्मण भी अपने दोनों हाथ सिर से लगाकर जितनी याद आपकी करता है, उतनी अपनी माँकी भी नहीं करता । वह आपको उसी तरह याद करता है जिस प्रकार बच्चा अपनी माँकी याद करता है। मयूर जिस तरह पावस छायाकी याद करता है, जिस प्रकार सेवक अपनी प्रभुकी मर्यादा की याद करता है, जिस प्रकार अच्छा किंकर अपने स्वामीकी दयाकी याद करता है, जिस प्रकार करभ करीरलताकी याद करता है, जिस प्रकार मदगज बनराजिकी याद करता है, जिस प्रकार मुनि उत्तम गतिकी याद करता है, जिस प्रकार इन्द्र जिनजन्मकी याद करता है, जिस प्रकार भव्य जीव जिन भक्ति की याद करता है, जिस प्रकार वैयाकरण विविकी याद करता हैं, जिस प्रकार चन्द्रमा सम्पूर्ण महाप्रभाकी याद करता है, वैसे है देवी लक्ष्मण आपकी याद करते रहते हैं। रामकी अपेक्षा कुमार लक्ष्मण को एक तुम्हारा ही परम दुःख है। दूसरा दुख है रामका । चाहे रात हो या दिन लक्ष्मणको सुख कहाँ ? ॥१-१०१२
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[३] तब ( यह सुनकर ) गुणगणके जल की महानदी सीतादेवी का रोमांच बढ़ गया। उनकी चोली फटकर सो टुकड़े हो गई, ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार विशिष्ट भदको न पाकर खल सौ-सौ खंड हो जाता है। पहले तो उनका शरीर पुलकित हुआ । किन्तु बाद में वह विषादसे भर उठीं। वह सोचने लगीं कि यह दुष्कर रामका दूत आया है, या शायद कोई दूसरा ही आया हो । यहाँ तो बहुतसे विद्याधर हैं जो नाना रूपों में भयंकर हैं, मैं तो सभी में सद्भाव देख लेती हूं। जैसे मैं बहुत समय तक चन्द्रनखाको नहीं पहचान सकी थी। वह ( चन्द्रनखा ) किसी स्थानभ्रष्ट देवी की तरह आई और उनसे कहने लगी कि मुझसे विवाह कर लो ।