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पवमचरित्र तिहहणुवम्ण एक पण ।
किड सप-सक्कर दुरिट पणाणेण ॥ तेन सेन तेन चितं ॥४॥२ पुण मा गगासणि जिस्पिरोप । णं गवाह रे गा बसुन्धरी ॥३॥ स सपा-माष्ट किय तिहिं सरेहिं । णं दुम्मा संवर-णिजहि ॥ध्य एग्थन्तर विकुरियाहरीए । पम्मुख पा विज्जाहरीएँ |५|| विद्यसिउ सं पि सिलीमुहेहिं । इकाणु वर-बुशेहि ॥६॥ लिल मुक पडीवी ताएँ सामु । णं कुहिल गय पर-परहाँ पासु ॥७॥ वधिय पवणअय-णन्दणेण । णं मसइ सु-पुरिसे दिड-मणेण ॥८॥
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घत्ता
सर मुझ गयासणि चक्कु सिल अण्णु विजं कि पि मुभह महिल । सं सयलु वि जाइ पिरस्यु किह घर किविणहाँ सस्कुव-विन्दु जिह ॥६॥
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जिह जिह मारुइ समरें ॥ भनाइ । तिह तिह फण्ण णिरारिउ रज्जाइ॥ तेन तेन तेन चित्त ॥ वम्मह - वाणे हि विद्ध उरस्थले ।
कह वि तुलग्गहि पडिय ण महियले ॥ तेन तेन . सेन चित्ते ॥४॥२॥ 'भो साहु साहु भुवणेकवीर । जयलपिड - वच्छ • लम्छिप-सरीर ॥३॥ मो साहु साहु अखलिय-मर । भक-भक्षण पर - पल - मइयवाद ॥४॥ भी साहु साहु पथक्स-मयण । सोहग्ग - रासि सपुरिस- रपण ||५|| भो साहु साहु कइकेय-तिलय । कन्दप - दप-माहप्प - णिलय ।।६।। भो साहु साहु सण-तेय-पिण्ड । दिव-वियत-बच्छ भुव-वपद्ध-चार || भो साहु साहु रिज-गन्धहथि । उवमिज्जइ जइ उधमाणु मयि ।।।