SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 70
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ સ पउमचरिय कथमन्था सन्धिय-मन्थणि । कथ पारि-नियम् सुहासिउ । करथइ डिम्भव परियन्दिजइ । कुड़ सद्दु सुरए व विलासिणि ॥ ६॥ पाव कुंडल कुछ मुहवासिठ ॥७॥ अम्माहीरगेड णिजइ ॥ ८ ॥ घत्ता तं पेक्खपिणु गोड्डु पारीचण परिश्ररिश्र । गाव दहि मिजणेहिं बालन्तणु संमरियउ ॥९॥ [ १ ] पुणु ऋणु पइसरन्ति आरणउ ॥३॥ तरल-तमाल-ताल-मंणड ||२|| जिणिन्द सास जहास सावय ॥३॥ मइन्द्र कन्धरं जहा स-केसरं ॥४३॥ सुसञ्च-गश्चियं जहा स-वालयं ॥५॥ कुन्तावसे तवं जहा मयासवं ॥ ६ ॥ । महाणहङ्गणं जहा स-सोमयं ॥ ७ ॥ विलासिणी-मुई जहा महारसं ||८|| तं मेलेष्पिणु गोट् श्वण्णउ 1 जं फल-पस - रिद्धि संपुष्णड | वर्ण निणाचं जहा स-धन्दणं । महा-रणणं जहा सवाल परिन्द-मन्दिर जहा स-माउयं । जिणेसहापर्यं जहा महास मुणिन्द अधियं जहास मोक्खयं मिड- विम्वयं जहा मयासयं । धत्ता तं व मेदिता इन्द- दिसए आसणहूँ । मासेंहिँ चउरद्धेहिं चिकू बोकोणइँ ॥९॥
SR No.090354
Book TitlePaumchariu Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages379
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy