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पउमपरित
छत्ता एम मणेपिणु राउ सकु समप् वि मजहें। भरहहाँ बन्धेचि पटु दसरहु गड पवजहें ॥५॥
सुरषर-वन्दिएँ धवल-विसालएँ । गम्पिणु सिद्ध चइतालएँ ॥१॥ दसरह थिउ पञ्चज लपप्पिणु । पत्र मुहि सिर लोग कोप्पिणु ॥२॥ तेण समाणु सहें लइयर' । चालीसोसर सउ पध्वाहपट ॥३॥ कष्ठा-कदय-मउड अधयारचि । दुचर पत्र महब्वय धार वि | थिय णीसा पाग ण षिसहर। अहवह समय-वाल णं विसहर ॥५॥ णं केसरि मय-मासाहारिय। णं परवार-गमण परदारिय ॥६॥ केण वि कहिउ ताम मरहेसह)। गय सोमिक्सि-राम वण-घासही ॥ तं णिसुणेचि वयण ध्रुय-वाहर । पडिड महीहरो ब्च घनाइउ ॥८॥
घत्ता
जं मुच्छाविड राउ अयल वि जणु मुह-कायरू । पलथापाल-संतत्तु रस वि लम्गुणं सायरु ॥९॥
चन्दणेण पवालिजन्तउ। चमलखेवे हि विजिजन्तर ॥१॥ दुषाव दुक्खु आसासिङ राणउ । जरद-मियख व घिउ विषय ||२|| अधिरल-अंसु-मलोल्लिय-णयणड । एम पजम्पिउ गग्गर-वत्रणउ ॥३॥ गिवडिय अशु असणि आयासहौं। अञ्ज अममलु सरह-वंसहो || अज्जु जाउ ह सूडिय-पक्खउ । दुह-मागणु पर-मुहहँ उधेवरसड ।।५।। अज्जु णयरु सिय-सम्पय-मेलिउ । अजु रज्जु पर-चक्के पेल्लिड ॥६॥ एम पलाउ' करवि सहग्गएँ । राहय-मणणिहें गड ओलग्गएँ ॥७॥ केस-विसण्ठल दिट्ट रुअन्ती। अंसु-पवाह बाद मेमन्ती 110