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पउमचरि
घत्ता
दस सन्दण-जाएं वर-णाराएं विषय- उत्स्थळे विषु अरि । रेवा-जल-वाहें सयर-सणाई गाइँ विचारित विष्नहरि ||१०|
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दुबई
उदूधुअ-पुच्छ-सूण्ड-वेषण्ड-रसन्तय-मरा वाहणं पारिएँ अतुल - मलें खरें दूसणें पडियमसेस साहणं ॥ १ ॥
सत्त सहास भिन्तें मारिय | चदह सहस गरिन्दहुँ बाहय । मण्डि इणि परवर- सेंहिं । कथइ रत्तारत पड़ोसिय तोरन्तरेंरह गम वाहणें । दिण्णानन्द मेरि अणुराएँ । 'सन्दोअर - सुअ महु करें वुशउ । जाव गवेपमि भाइ महार |
दूसणेण सहुँ सत्त धियारिय ॥ २ ॥ र्ण कप्पस व विनिघाय ॥ ३ ॥ नाव सस्य छोछ सयवत्ते हि ॥ ३ ॥
हूँ विलासिणि घुसिण- विहूसिय॥५॥ कलयलु बुद्ध विराहिय साहणं ॥ ६ ॥ रणु परिचित दसरह जाएँ ॥ ७ ॥ नाम महाहवें अच्छु मुहुत्सउ ॥ ८ ॥ सहुँ वदेशिएँ पाण-पिंभार ॥९॥ धत्ता
मारेवि जिणु जयकारें त्रि लक्षणु रामद्दों पासु गड । तिघाएँ जम-पह लाएँवि का कियन्ताँ सम्मुह ॥ १०॥
- चूण
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तत्र क्रिष्ण डालओ गिरि बम-सूडिओो अपाणि च महवो । चलो सुमित-पुत्तिणं ।
[१२] दुबई
हलहरु
क्विज संया-सोय- णिभरी । घत्तिय तो बाण महि-मण्डले कर-पश्चित्त- धणुहरो ॥१॥ विओोष-सोय-दत्त । करिव भग्ग-दन्त ॥ २ ॥
फणिव मिलओ ॥३॥ ससि व्व राहु-डिओ ॥१॥ वर्ण विसष्ण देहओ ॥५॥ पपुच्छिभ तुरन्तिणं ॥ ६ ॥