________________
पउमचरित अस्मिथ वे वि सोपोर वीर। संगाम-धीर ॥२॥ एस्थम्तरें अमर-वरणाहूँ। हरिलिप-मण्णा ॥३॥ भवरोप वोलासाव हुय। 'कहों गुण पहूष' fi सं णिसुणे वि कुवलय-णयणियाएँ। ससि-वयजियाएँ ॥५॥ णिठमच्छिय भच्छर अच्छराएँ। बहु-मखसएँ ॥६॥ 'बरु मुरषि अण्णु किं को चि सूरु । पर-सिमिनचूरु ॥७॥ अण्णोक्क पजम्पिय तस्षणेण । 'सहुँ लश्खणेण ॥८॥ खरु गबहु किह किन समा। जो अपरमाणु ॥९॥ एस्यन्तरें णिसियर-कुल-पहखें। खरु पहउ गौवें ॥१०॥
घत्ता
कोवागल णाड कटि-कपटाला दसण-सकेसरु अहर-दल । महुमहण-सरग्गै असि-पाहर खुप्टेंवि घत्तिउ सिर-कमलु ॥११॥
[..]
पत्तहुँ लक्षणेण विणिवाइड मिसियर-लेपण-झारओ । प्रत्तहें दूसण किउ विरह विराहिउ पिणि वारी ॥१॥ छुड छुल्लु समरें परजित साहणु। रहनाप-वाहणु ॥२॥ छुद्ध युद्ध जोबनाहि आयामिड । पर-बल-सामिड ॥२॥ छुछ छुद्ध चिहुरहँ हत्थु पसारित। कह चि ण मारिउ ॥ ४ ॥ साव खरहों सिरु खुडेवि महाइड। लक्षणु धाइड ॥५॥ गिन-माहणे मम्मीस करतउ । रिद कोकन्तद्ध ॥६॥ दुसाण एहरु पहर जह सहि। अहिमुहु थकहि ॥७॥ सं णिसुणेषि वाणु भासद्दष्ट । चित्ते दुद्दउ ।।८॥ बल्डि णिसिन्दु गहन्दु व सीहहों। रण-सय-लोहहों ॥२॥