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________________ चालीसमो संघि १२६ और स्थिर स्थूल बाहुबाला । अनुराधाका पुत्र, सेना और रथ सहित यह चन्द्रोदरका वह पुत्र है || १-२ | [६] मन्त्री और राजामें जब इस प्रकार आपस में बातचीत हो रही थी तबतक लक्ष्मण और विराधितने समस्त शत्रुसैन्यको घेर लिया। तब शत्रुओंका सफाया करनेवाले लक्ष्मणने खरको ललकारा। और यहाँ जिसके पास रथ है, जो अनुराधाका पुत्र है, जो युद्ध में समर्थ है, धनुष और तीर जिसके हाथ में हैं, जिसके नेत्र गुंजाफलकी तरह लाल हैं, जिसका अवलोकन भयंकर है, जो गजकुम्भोंका विदारण करनेवाला है; जो यशका राजा है, ऐसे विराधितने पूर्व बैरके कारण दूषणको ललकारा। आओ, घोड़ेपर घोड़े, गजपर गज प्रेरित कर दिये गये। रथपर रथ चला दिये गये, आदमीपर आदमी दौड़े! अक तैयार, कवचोंसे सन्नद्ध, प्रहरणों और वाहनोंसे सहित दोनों सैन्य अपने शत्रुको यादकर और इकारकर भिड़ गये || १ - ५ || [७] सैन्य से सैन्य भिड़ा विराधित दूषणसे और लक्ष्मण खरसे । पटु, पटह, तूर्य ब्रज उठे । गल-गम्भीर और भीषण कोलाहल होने लगा | जिसमें अश्व त्रस्त हैं, स्थों और हाथियोंकी भीड़ हैं, मृदंग बज रहे हैं, योद्धाओं का संहार हो रहा है. रथ मोड़े जा रहे हैं, श्रेष्ठ नर दण्डित किये जा रहे हैं, फिलिबिडी (?) की जा रही है, केशलोंचे जा रहे हैं, सैकड़ों रथ खचे हुए हैं, ऐसे उस रणसंग्राम में अपराजित खर और लक्ष्मण भिड़ गये 1 दोनों महाबली और विकट उरस्थलवाले थे। दोनों ईष्यसे भरे हुए थे। दोनों भयंकर थे। दोनों अकायर ( बहादुर ) थे ।
SR No.090354
Book TitlePaumchariu Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages379
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size6 MB
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