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________________ चाकोसमो संधि ५०९ सेनाके भीतर, वह बीर प्रहार करता हुआ दिखाई दिया। जो तिल-तिल काट दिये गये हैं, जो उरमें जर्जर हैं, जो लाल-लाल आँखोंवाले और स्फुरित मुखबाले हैं, जो तीरोंसे भेदे गये हैं, ऐसे वाहन सहित गम्भीर सुभट-शरीर दिखाई दिये ॥१- १०॥ [१] कोई सुभट अहिए, कोई बावराहित पोहो गया। कोई लक्ष्मणके तीरोंसे खण्डित होकर आकाशसे गिरता हुआ दीख पड़ा। कोई सुभट अपने हाथी, मन्त्री, चिह्न और छत्र के साथ छिन्न शरीर दिखाई दिया। कोई योद्धा बाबल्ल और भालोंसे विदीर्ण हो गया। कोई भट कल्पवृक्षकी तरह छिन्न हो गया। कोई भट तीखे अग्रिम तीरोंसे विद्ध हो गया । महाशस्त्रोंवाला भी कोई सुभट शस्त्रोंसे विद्ध हो गया। ऋद्धमुख और विस्फुरित होता हुआ कोई भट मरते हुए भी हक्कारउक्कार दे रहा था। कोई समर्थ योद्धा अपने शरीर सहित छिन्न हो गया। कोई धनुष हाथमें लिये हुए मूर्च्छित हो गया । कोप से उद्भट चंचल चामरोंकी कान्तिसे हवा किया जाता हुआ जीवित ही मर गया। कोई घनी बसा कीचड़ में फँस गया, उसमें स्खलित होता और मुड़ता हुआ अपनी आँतों में ही उलझ गया। कोई आता हुआ सुभट खुरुपोंसे काट दिया गया । अन्तको प्राप्त होता हुआ भी कुसिद्धके समान सिद्धिको प्राप्त नहीं हो रहा था। लक्ष्मणके तीरोंसे आक्रान्त आधा बना हुआ सैन्य इस प्रकार दिखाई दे रहा था कि मानो वह नचल कामिनी- प्रेम के समान, न तो अपने-आपमें ढांढस चाँपा रहा धा, और न जानेका सन्धान कर रहा था ॥ - [४] परधन और परखियोंको समाप्त करनेवाले शत्रुसैन्यके लिए सन्निपात के समान सात हजार राजाअंकि सैन्यको अकेले लक्ष्मणने मार गिराया। आधे शत्रुसैन्यके जीवित रहने और आवेके चकनाचूर होकर धरतीपर सो जानेपर, उस अवसर
SR No.090354
Book TitlePaumchariu Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages379
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size6 MB
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