SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 322
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ३१४ पडमचरित घत्ता णिणु लक्षण-जियर अण्ण मिना-साम्मे हि मनः । राहत भमइ भुअङ्ग जिह वर्ण 'हा हा सीय' भणन्तउ ||८|| [ २] हिण्डन्तें भग्ग-महप्फरेंण । वण-देवय पुचिश्य हलहरेण |1|| 'स्वगणे खणे वेयारहि काई महूँ। कहें कहि मि दिट जइ कन्त पई ॥२॥ बलु एम मणेपिणु संचलिउ । तावस्गएँ घण-गइन्दु मिलिउ ।।३।। 'हे कृक्षार कामिणि-गह-गमण। कह कहि मि दिट्ट जह मिगणयण'Hal णिय-पहिरवेण घेयारियउ। जाणइ सीयएँ हकारियड ॥|| करथइ दिहँ इन्दीवर जाणइ धण-णयणई दोहर ।।६।। करथा असोय-तरु हलिउ। जाणइ धण-वाहा-ढोलिया ||७|| वणु सथल गवेस वि सम्बल महि । पल्लट्टु पडीवउ दासरहि ||| पत्ता तं जि पराइउ गिय-भवणु जहि अच्छि आसि लयस्थले । चाव-सिलिम्मुह-मुक्क-कर बलु पडिउ स ई भु द-मण्ड ॥२॥ चालीसमो संधि दसरहे-तव-कारणु सम्बुद्वारण वजयण्ण-सम्मय-भरिन । जिणवर-गुण-कित्तणु सीय-सइत्तणु तं णिसुण राहाव-चरिउ । [ ] ध्रुवकं सं सन्तं गयागसं घीस संताव-पाव-संतास (१) । बारु-रुचा-रएणं बंदे वेवं संसार-चोर-लोसं ॥१॥
SR No.090354
Book TitlePaumchariu Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages379
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy