SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 32
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २४ पडमचरिङ घत्ता जणु सलु वि ऍड परियाणइ । बलिउ तुम्ह जग जणेरु महु मायरि विदेह सस जगह ॥ ८ ॥ [ ७ ] ग बदहत्तिएँ ते पसु ॥ १ ॥ नहिँ निणवरहवण महाविभू ॥ २ ॥ जहिँ सीय राम-लक्षण -बिलासु ॥३॥ गउ तहिँ भामण्डलु जणणु लेषि ॥ ४ ॥ पुणु गुरु- परिवाडि सषण सङ्घ ॥ ५ ॥ मरह-व-लक्षणेहिं ॥ ६ ॥ जिह हरि-वल-साला साबळेव ॥७॥ तत्रचरणु लय चन्द्रायणेण ॥८॥ घन्ता वित्तन्तु कद्देष्पिणु गिरवसेसु । वह मदारिस सच्चभूद्द । बहरग्ग-कालु जहिँ दसरासु । तुरण भरह जहिं मिलिय वे वि । जिणु वन्दिउ मोक्ख-वलग्ग जषु । पुणु कि संभालणु समय तेहिँ । सत्तु जाणावि सी भाइ जेम । सुउ परम-धम्मु सुह-भायणेण । दसरहु अका-दि किर रामहों रज्जु समप्पड़ । केकयता म उहालऍ धरण व तप ॥९॥ '[.] रिन्स सोऊ पवज्ज यज्जं । ससा द्रोणरायस्य भग्गाणुराया । स- पालम्व कची- पहा-मिष्ण-गुज्झा । णवासीय वच्छच्छयाछाय - पाणी महा-मोरपिच्छोह संकास- केसा | स रामा हिरामस्स रामस्स रज्जं ॥१॥ तुला कोटि-कन्तीयालि-पाया|२| श्रणुत्तुङ्ग मारे जा फिश मज्झा ॥ ३० वरालाविणी को इलाखाव- वाणी ॥४॥ अस्स भली पण बेसा ॥ ५ ॥
SR No.090354
Book TitlePaumchariu Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages379
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy