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________________ सत्ततीसमो संधि यताओ किसने प्याससे समुद्रका क्षय कर दिया है ? बताओ किसने नागमणिसमूहको उखाड़ा है ? अताओ देववनका आघात किसने सहन किया है ? यताओ किसने आगको ढंक दिया है ? बताओ किसने दशाननके पैर छिन्न किये हैं ? तब अश्रुजलसे गीली होकर चन्द्रनखा बोली, "हे राजन् , मेरा जनप्रिय पुत्र शम्बुकुमार बिनयके समान अपने प्राणोंको लेकर मर गया ॥१-२॥ [५] सन्ताप, शोक और वियोग उत्पन्न करनेवाला शम्बुकुमारका मरण सुनकर, मुंह फाइकर, आँसुओंसे आँखें भरकर दुःखसे परित, कुछ मुँह नीचा किये हुए. खर अपने दुःखसे रोता है-"हा, आज अतुल शरीर मेरा वाहुदण्ड गिर पड़ा । हा, आज मेरे मन में भारी शंका उत्पन्न हो गयी; हा, आज पाताल लंका सूनी हो गयी। हे पत्र, देवरूपी सिंहों का नाला करनेवाले दशाननको मैं क्या उत्तर दूं।" इसी बीच में त्रिपुण्डधारी बहुबुद्धि ब्रह्मचारी बोला, "हे मूख राजा ! रोते क्यों हो, संसारमें भ्रमण करते हुए तुम्हारे जो सैकड़ों पुत्र हुए मर गये और चले गये, उन्हें कौन गिन सकता है ? किसका घर ? किसके परिजन, किसका सम्पत्ति-धन, किसके पिता, माता तथा नी ? किस कारण तुम रोते हो, शोक करते हो, भवसंसारका यही क्रम है ? ॥१-९॥ [६] जब बड़ी कठिनाईसे राजा आश्वस्त हुआ तो उसने हायपूर्वक पूछा, "बताओ, मेरे पुत्रका वध किसने किया ?" यह वचन सुनकर धन्या बोली-“हे राजन्, सुनिए । जो दुर्गम और दुष्प्रवेश्य हैं, जिसमें गजसमूह के संघर्ष के प्रदेश हैं तथा जो लाखों सिंहोंके क्षयसे विकराल है, ऐसे उस विशाल दण्डक बनमें मैंने दो प्रचण्ड बीर देखे है, जो मेघ और कमलके समान शरीरवाले हैं, जिन्होंने धनुष-बाण अपने हाथों में ले रखे हैं, जो शत्रुसेनाके बलको परास्त करने में समर्थ हैं। उनमें एक - - ----- +
SR No.090354
Book TitlePaumchariu Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages379
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size6 MB
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