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पउमचरित
पुण पुणु रिसाव सुरयणहों। रवि-हुभवह-वरुण-पहजहाँ ॥७॥ अहाँ देवहाँ पालुज रक्खियउ। सच्चे हिं मिलेवि उपेसिषयड ॥८॥
पत्ता
तुम्हई दोसु गावि महु दोसु जाह मणु ताडि । मन्छ, म मह गानुगोसारित ॥२॥
[१ ] एत्यन्तर सोएँ परियरिय । डि जिह निह पुणु मच्छर-मस्मि ॥१॥ णिकरिय-यण विरफुरिय-मुह । विकराल णा वय-काल-जुह ॥२॥ परिवयि रषि-मण्डलें मिलिय। जम-जीह जेम गहें फिलिपिलिय ॥३॥ 'ज घाइउ पुत्तु महु-सणउ। खर-णन्दणु रावण-मायणः ॥ ४ ॥ तही जीवित जह ण अज्जु हरमि । तो हुवाह-पुन्जे पईसरमि' ||५|| इय पहज करेपिणु चन्दहि । किर वले वि पलोबा जाम महि | लय-मण्डव लक्रियय वे वि गर । धरणि उब्भिय उभय कर ॥७॥ सहि एक्कु दिल करवाल-भुउ । 'लई एण जि हउ महु सणउ सुउ ॥uk
पत्ता एण जि असियण गियमस्थहौँ कुल-पायारहों । स? वैसश्यलॉग सिह पाढिन सम्वुकुमारहों ॥९||
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[ 1] जं दिट्ट कणन्तरे वे वि गर। गउ पुत्त-विनोउ कोज वर ॥१॥ आयामिय विरह-महामण । गच्चाविय मगरलय-गण ॥३॥ पुलबजाइ पासेहमइ वि। परितप्पा जर-बेइजह वि ।।३।। मुग्छिनई उम्मुकिछजाइ वि। शुरुण विवाहिँ मजद वि ॥५॥ 'परि एउ रूड उवसंघरमि। सुर-सुन्दरु कग्ण-वेसु करमि ॥५॥ पुणु जामि एस्थु उम्बर-मवणु। परिणेसह अवसे एक्कु जाणु' ॥६॥