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________________ २५६ पठमधारित पुणु उहइ पुणु कन्द कगा। पुणुश्त हि अप्पर आइगह ॥७॥ पुणु सिह अफालइ धरणियहें। रोषन्ति सुर रोवन्ति पहें ॥६॥ पत्ता जे चउदिसे हि थिय णिय हाल पसारधि तहषर । 'मा रुव घन्दहि' णं साहारन्ति सहोयर ॥९॥ [८] अप्पापड सो चि ण संधवह। रोवन्ति पुणु वि पुणु उट्टवइ ॥१॥ 'हा पुत्त विराज्झहि सहहि मुहु। हा विरुप गिदएँ सुत्तु सुहुँ ।।२॥ हा किण्णासायहि पुस मई। हाकिं दरिसाविय माय पइँ ॥३॥ हा उपसंहारहि रू लड्डु । हा पुत्त देहि पिय-धयणु महु ॥४॥ हा पुत्त काइँ किउ रुहिर-बडु। हा पुस एहि उच्छन्ने बह ।।५।। हा पुत्त लाइ मुहें मुह-कमलु। हा पुस एहि पिउ थण-जुअलु ॥६॥ हा घुस देहि आलिङ्गणड जे पञ्चमि धणे घद्रावणा ॥७॥ णव-मासु छुन्धु जं मइँ उमेरे । तं सहल मनोरट अज्जु जण ॥८॥ पत्ता हा हा दड्ड चिहि कहि णियड पुग्नु कहाँ समि । काइँ कियन्त किउ हा दहब कवण दिस लामि ।।९।। [१] का अन्जु श्रमालु विहिं पुरहँ। पायाललक-सवाउरहूँ ।।१।। हा भन्नु घुक्नु बन्धव-जणहाँ। वा अपजु पडिय मुअ राषणहाँ ॥२।। हा अज्जु खरहाँ रोबाधणउ । हा प्रअ रिउ घद्धावणउ ||३|| हा अज्नु फुट्टु कि ण जमहाँ सिरु । हा पुप्त णिवारिउ मह मि चिरु ॥ से लागु ण सावण्णही गरहीं। पर होइ अबू-चकेसरही ॥५|| किं तेण जि पाडिउ सिर-कमलु। मणि-कुपहल-मपिढयाण्डपलु' ॥६॥
SR No.090354
Book TitlePaumchariu Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages379
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size6 MB
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