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________________ 考建有 पउमचरिउ संपेक्षा महव्वलु । " अवसु अजय अवसवणु अमङ्गल ॥५॥ एम रोसें मुणिवर कण्ठे काऍषि । ६ ॥ चवन् विसहरु वावि । गढ जिय-जय णराहिउ जानें हिं । थिउ णीसङ्गु गिरोहें तायें हिँ (स "एड को वि फेडेसह जयहुँ । लम्वियथुच्चामि तद्दयहुँ” ॥ ८ ॥ घत्ता जावण्णे दिवसें पहु आवड तं जें मकारड सहिं जें विहाबद्द । गलऍ अङ्गम-मदमिवन्दर कण्ठाहरणु गाइँ भइव ॥९ [4] विदि मुणि-केसरि । फेडेंवि विसहर कण्ठा-मअरि ॥१॥ "बोलहि परमेसर सत्र चरमेण काइँ तवणेसर ||२|| I जो झायहि सो गयउ अतीत ॥३॥ आयों कि पमाणु किं खणु ” ॥ ४ ॥ मुनिवर चर्चेदि लग्गु णयवाएँ ॥ ५ ॥ बोला २षणिउ सरोरु जीउ खप्प- मेराठ । तुडु मि खण्डि पाsन चि सिद्धराणु सचल रिस् घुषु राएँ । " जर पुणु सो ज्जें पक्खु वोल्टेव खणित या यार वि होस । ता खण-सद्दु ण उच्चारेबल ॥ ६ ॥ खण-सहों उच्चारुप दीसह ॥७॥ घता अघरि घमाणु अघणम्सउ खणिएँ खणिउ खणन्तर-मेतड । सुपर्णे सुण्ण-वयणु सुष्णाणु सम्बु गिरस्थ वजहुँ सासणु" ॥८॥ खण-पण णिरुतरू जायउ | "तो बहूँ सम्दु अस्थि अं दीसइ [4] पुणु वि पवोलिड दम्बय-रायड ॥१॥ । पुणु तवचरणु कासु किज्जेस" ॥२॥ B 1
SR No.090354
Book TitlePaumchariu Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages379
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size6 MB
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