SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 206
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १९८ पउमचरित बहरु सरन्सा पाइरन्ताई सम्बल-हुलि-हल-मुखलग्गै हिँ। का मापणउ भीसावपाउ दस्सिाविउ र्ण बहु-महिं ॥२॥ उघसरगु जिवि हरिसिय-मणे हि । णीस हि वस्त्र-णारायणे हि ॥१॥ मम्मीसें वि सोय मदावलें हिं। मुणि-चलण-धराविय करपलें हिं ॥२॥ धणुछ विहि मि अफालियरें। पं सुर-मवणइ संचालियर ॥३॥ बुण्णा भय-मीय-विसावलहूँ। रसियई णहरल-महियल ि॥४॥ सं सदा सुणे वि भासकियइँ । रिउ-चित्त माण-कलाड़ियई ॥५॥ धणुहर-दहा हि वहिरियहै। नइ खल-खुर घरियर ॥६॥ णं अट्ठ वि कम्मइँ णिजिस । णं पोन्दियाँ परजियई ॥७॥ शं पासें वि गयद् परीसह।। विह असुर-सहासई सहई ।। घाता छुद्ध छु णट्वाइँ भय-सवाई मेक्लेप्पिणु मरला माणु | ताप भण्डाराहुँ वथ-धारा| उप्पणड केवल-गाणु ॥९॥ [१२] ताव मुणिन्दहुँ गाणुप्पत्तिएँ। आय सुरासुर-बन्दणहत्तिएँ ॥१॥ जेहि कित्ति सहलोके पगासिय । जोइस वेन्तर मवण-णिवासिय ।।१।। पहिलउ मावण सपा-णिण। बेन्ता वयफालिय-सः ॥३॥ जोइस-रेव चि सीह-णिणाएँ।। कप्पामर जयघण्ट-णिणाएँ ॥३॥ संघलिए घड-देवणिकाएं। छाइड 'पाहुणं घण-संघाएँ ॥५॥ बहट विमाणु विमाणे चपिउ। वाहणु वाहण-णिबह-प्रदघिड ॥६॥ तुर तुरङ्गमेण ओमाणिउ । सन्दणु सन्दणेण संदाणिउ ॥७॥ गयवर गयवरेण पडिखलियउ। लगवि मउ मउ उछलियर ॥८॥
SR No.090354
Book TitlePaumchariu Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages379
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy