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पउमचरिउ
विहिँ दोसहि जेण परिम्महिय । जि-जरा-मरणेंहिं रक्षिय जे घडगइ घटकसाय महण | जे पश्च महषय दुघर-घर | छत्तीस गुण द्विगुणै हिँ पत्रर । जिय जेहि समय सत वि णरय ।
कम-मय-दमण ।
मानें तिहि मि जण हिँ धम्मज पुप्फच्चयि हुन्-लयवते हिँ । रामु सुधीस वीण अल्फाळ | जा रामउरिहिँ आसि खष्णी । लक्खणु गाइ सलक्खणु गेउ । एकवीस वर सुरूण-ठाणहूँ 1 - विवाल दस दिट्टिउ बाजीस लहुँ ।
ताल-1
पण जाण ।
विहिं वजिय विहिँ साहिं सहिथ ॥ ३ ॥ सण चारित णाण सक्रिय ॥४॥
घन्ता
एकतर
गुण- भरिय पुणु बन्दिय बल- गोविन्द हिं । गिरि-मन्दिर- सिहरें वर-बेइहरें जिण जुबलु व इन्द-पढिन्देहिं ॥ १० ॥
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च - मङ्गलकर घसरण-मण ॥५॥ पद्रिय दोल- मिणासर ॥ ६ ॥ छजीव- निकाय हुँ खन्ति कर अ सत्त सिक्कर अणवरण ॥८॥ अट्टविह गुणढी- सरसवण ॥९॥
८
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किउ चन्द्रण-रसेण सम्मजणु ॥१॥ पुणु आ गेट मुणि-गतें हिं ॥२॥ जाविरहु मिथिलाहूँ चाल ॥३॥ तू विपूयण-जक्र दिणी ॥३॥ सप्त विसर ति-गाम-सर-मेड ॥५॥ एषणपचास विसर ताण ॥६॥
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दरस अनुभाव जा जागड़ १७ ॥ मरहें मरह-गविहूँ आई ॥ ८॥