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________________ एषीसमो संधि रामने नागिन और नागके आकारवाले बाणोंसे उसे वेध दिया । जिनमें तलवारें अवलम्बित हैं ऐसे करतलोंके द्वारा सेना भग्न हो गयी और उन्मार्गसे जा लगी। युद्धमें भग्न होकर भील राजा अपने दस बोड़ोंके साथ भाग गया। जनक राजाने जानकी उसी समय रामके लिए अर्पित कर दी । ।।१-२॥ [८] बर्बरों और शवरोंकी सेना भाग गयी। जनककी धरती स्वतन्त्र हो गयी । नाना रत्नों-आभरणोंके द्वारा पूजित बासुदेव और बलदेवको विसर्जित कर दिया गया। एक दिन दर्पण देखते हुए देहकी ऋद्धिको प्राप्त सीताने प्रतिबिम्वके छलसे मुनिवेषधारी नारद मुनिको देखा। जनककी पुत्री एकदम भाग खड़ी हुई, सिंहके आनेपर हरिणीकी तरह वह सन्त्रस्त हो उठी । भयरूपी ग्रहसे ग्रस्त सखियोंने 'हा माँ, I €1 माँ' कहते हुए कल-कल ( कोलाहल ) किया । अमर्षसे क्रुद्ध अनुचर अपनी श्रेष्ठ तलवारें उठाये हुए दौड़े। उन्होंने मिलकर नारद - को मारा भर नहीं, केवल धक्के देकर बाहर निकाल दिया | देवर्षि अपमानके साथ पटपर सीताका चित्र लिखकर ले गये । उन्होंने विषयुक्तिकी तरह रामकी गृहिणी ( चित्र रूप में ) भामण्डलको दिखायी ॥१-२॥ ११ " [९] कुमारने जैसे ही पटमें प्रतिमा देखी तो मानो उसे कामदेवने पाँचों तीरोंसे विद्ध कर दिया। शोषित मुख, घूमता हुआ मस्तक, मुड़ता शरीर नष्ट भुजरूपी शाखाएँ, बँधे हुए केश, खुला हुआ वक्षःस्थल, दसों कामावस्थाओंको दिखानेबाला । प्रथम स्थानपर ( सबसे पहले ) उसे चिन्ता हो गयी, दूसरी अवस्था में वह प्रियाका मुखदर्शन चाहता, तीसरी अवस्था में यह दीर्घ निःश्वास से साँस लेता, चौथी अवस्था में ज्वरके चढ़नेसे आवाज करता, पाँचवीं अवस्था में जलन शरीरको नहीं छोड़ती, छठी में उसके मुखको कुछ भी अच्छा
SR No.090354
Book TitlePaumchariu Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages379
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size6 MB
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