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पचमचरिङ
पंणिणे वि वोलिड हच्छिगेहु । 'कुल-गामही अवसर कवणु पहु ॥ ८ ॥
घन्त्ता
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णिड किंवा मिलिटस
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पहर पहरू रडुकुष्ठ- न्दणु रुच्छिहरु तर जीवहरु परवड मड्डु खक्खणु णामु' ॥ ९ ॥
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कुलु णामु कहिउ जं सिरिहरेश | षणु वत्तवि महिहें महोदरेण ॥ १ ॥ सुरकरि कर-सम-भुअ-क्षरेण । अवरुण्डि णेह महाभरेण ॥२॥ हवि करें कि अपरायणासु । स दिष्ण कण्ण नारायणासु ॥३॥ मरूतु महीहरु एक रहें । अट्ट वि कुमार अणेक रहें ॥४॥ थिय सवल सीय अण्णे रहें ॥ ५॥ चमतहिँ खुजय- वामणेहिं ॥ ६ ॥ कंसालेहिं ताहिं महहिं ॥ ७ ॥ लीलऍ अस्थाणें बट्टाई ॥ ८ ॥
चणमाल स-लक्खण एकरहूँ । पहु-पद-स-वनावणेहिं । उच्छाएँ हिँ धवलेहिं महहिं । आणन्दे जयरें पइट्टाइँ ।
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घत्ता
सहुँ चणमालएँ, महुमहणु परिमुट मणु र्ज बेद्दह जन्तु पदीसिउ । कोहि मङ्गलुगन्तऍहिं चन्तयें हिं जिणु जम्मणे जिह से हूँ भू सिउ ॥ ९ ॥
तीसमो संधि
तहिँ अवसरे आणन्द-भरें उच्छाह करें जयकारों कारणें मिष्किल । मरदद्दाँ उप्पर उबलिङ रहमुच्छलिङ गरु मन्दावत्त-णराहिङ ॥