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________________ ११३ पदमचरिड मणु धुगुधुगइ देहु परितप्प। चम्महो णं करवतें कप्पइ ॥॥ ताव णहमाणेण घणु गजिङ। पाई कुमारे दुउ विसजिउ ।।५।। घोरी होहि माएँ र्ण मासिड : कदखा उनमें भावाः ३६६... गरहिउ मेहु तो वि तणु-मझिएँ। दोस वि गुण हवन्ति संसग्गिएँ ॥७॥ 'तुहुँ फिर जप-मण णषणाणन्दणु । महु पुणु जलहर णाई हुभासणु ॥३॥ पत्ता तुमचा दोसु दोसु कुलहों हय-दुह-कुलहों जलें जलपणे पबणे ज जायट । तं पासेउ दाहु करहु णीसासु महु सिण्णि वि दाखवणहाँ आयड ॥९॥ ] दोच्छिउ महु पणछु महङ्गणे। पुणु वणमाल' चिन्सिउ णिय-मणे ।।३।। 'किं पइसरमि बलन्त हुआसणें। किं समुः किं रणे सु-मोसणें ॥२॥ किं विसु भुजमि कि अहि चप्पमि । किं अप्पड करवात कप्पमि ॥३॥ किं करियर-दन्तहिं उर मिन्दमि । किं करवाले हिं तिलु तिल चिन्दमि ॥१॥ किं दिस कमि किं पञ्चममि । कहीं अक्खमि कहाँ सरणु पषममि ॥५॥ अहवइ पण काई गमु सजमि । तरुवर-दालएँ पाय विसनमि' ।।६।। एम भणेप्पिशु चलिय तुरन्ती। कश्ली-थद्ध उग्धोसम्सी ॥७॥ गन्ध-धूप-वलि-गुफ्फ-चिहस्थी। लोल चिकन्ति चोसस्थी ।। पत्ता चाविह-सेणे परियरिय धण णीसरिय 'को विहिं आलिशाणु देसई' । एम घवन्ति पइट्ट वणे रवि-अस्थवणे 'कहि लक्खणु' पाइँ गवेसह ॥५॥
SR No.090354
Book TitlePaumchariu Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages379
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size6 MB
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