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________________ ४४ पउम चरित काहु गए अङ्क कन्वेसु ॥२४ बरु वसहेतु वेलु गयणेसु || या रुपखेसु माणु मुक्खेसु ॥११॥ महवह किसिट णिव वपिणजइ । जह पर त जि तासु दधमिजइ ॥१२॥ घत्ता तहों णयरहौं अवरु त्तरेंग कोसन्तरेण उपवणु णामेण पसत्थउ । णाई कुमारहो पनाही पडसम्ताहाँ थिउ णव-कुसुमालि-हत्थड ।।१३॥ [ २ ] तहिंउचवणे थिय हरि-वल जा हिं। मरहें लेहु विसजिल तावे हि ॥१॥ भग्गएँ घित्सु गरेण परिन्दहों। भविउ व बलणे हिं पडिउ जिणिन्दहाँ॥२॥ लाइड महाहरण साई हथें । जिणकर-धम्मु ष मुणिवर-सत्थं ॥३॥ वारि-णिवन्धहीं मुक्कु गइन्दु व । दिट्ट अङ्गु तहिं णहयले चन्दु व या 'रज्जु मुपवि वे वि रिउ-माण। सय वण-वासह) राम-जण गुण ॥५॥ को जाणह हरि करिड आवइ। वहीं वणमाल दंज जसु मावई' ॥६॥ छेहु विवेप्पिणु गरवइ महिहरु । गाई दरेण दट थिउ महिहरु ।।७।। गाइ मियको कमिउ विह। तिह महिहरु परिन्दु मावर्षे ॥६|| जाय चिन्त मणे पुखरहों धरणीधरहाँ सिहिनास-समाल-घण-घपणहाँ । 'लारपणु लक्खण-छक्ख धरु से मुएं वि वर म दिपण कण्णा कि अण्णहों' सो एस्यन्तरें णयपा-विसालएँ। शालिहुम हियएण विसूरह। सिरे पासेउ घबह गुहु सूसह। [३] एह बत्त जं सुय यणमालएँ ।।१।। दुकवं महायइ उप आऊरइ ॥२॥ कर विगुणइ पुणु दहबाहों रूसइ ।।३।।
SR No.090354
Book TitlePaumchariu Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages379
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size6 MB
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