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पउम चरित
काहु गए
अङ्क कन्वेसु ॥२४ बरु वसहेतु वेलु गयणेसु ||
या रुपखेसु माणु मुक्खेसु ॥११॥ महवह किसिट णिव वपिणजइ । जह पर त जि तासु दधमिजइ ॥१२॥
घत्ता
तहों णयरहौं अवरु त्तरेंग कोसन्तरेण उपवणु णामेण पसत्थउ । णाई कुमारहो पनाही पडसम्ताहाँ थिउ णव-कुसुमालि-हत्थड ।।१३॥
[ २ ] तहिंउचवणे थिय हरि-वल जा हिं। मरहें लेहु विसजिल तावे हि ॥१॥ भग्गएँ घित्सु गरेण परिन्दहों। भविउ व बलणे हिं पडिउ जिणिन्दहाँ॥२॥ लाइड महाहरण साई हथें । जिणकर-धम्मु ष मुणिवर-सत्थं ॥३॥ वारि-णिवन्धहीं मुक्कु गइन्दु व । दिट्ट अङ्गु तहिं णहयले चन्दु व या 'रज्जु मुपवि वे वि रिउ-माण। सय वण-वासह) राम-जण गुण ॥५॥ को जाणह हरि करिड आवइ। वहीं वणमाल दंज जसु मावई' ॥६॥ छेहु विवेप्पिणु गरवइ महिहरु । गाई दरेण दट थिउ महिहरु ।।७।। गाइ मियको कमिउ विह। तिह महिहरु परिन्दु मावर्षे ॥६||
जाय चिन्त मणे पुखरहों धरणीधरहाँ सिहिनास-समाल-घण-घपणहाँ । 'लारपणु लक्खण-छक्ख धरु से मुएं वि वर म दिपण कण्णा कि अण्णहों'
सो एस्यन्तरें णयपा-विसालएँ। शालिहुम हियएण विसूरह। सिरे पासेउ घबह गुहु सूसह।
[३]
एह बत्त जं सुय यणमालएँ ।।१।। दुकवं महायइ उप आऊरइ ॥२॥ कर विगुणइ पुणु दहबाहों रूसइ ।।३।।