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________________ २८ सन्न जगहों उनसोवणि देषिणु । डि तिहुअण-परमेवरु तेराहेँ । शत्ति सुरेहिं विमुक्क मत्तिए अच्वण-जो गु पउमचरिउ बाल-कमल-दल-कोमल - वाह । सुरवरुवा दिवायरु । महिं जोयण-यहि तहिति । उप्पर दस जोयहिं दिवाह । पुणु चऊहिं णक्खहं पति । असुर-मन्ति सिहि निसिं असहाय कमै पिए । पण्डु-सिलोवरि सुवर-सारख | णावद्द सिंण एसि 'उनिहुण णाहु हवणारम्म भरि अफ लिय । परिय धवल सङ्घ क्रिउ कल केहि मि आदत्तई गेयाइ सि । केहि भि वाइस वज्जु मणहरु | केहि मि उम्बेलि भरहुराउ | अग्ग माया जाल थवे विणु ॥ ७ ॥ सपरिवार जेरा ॥८॥ धत्ता चरणोवरि दिहि विमाला गाइ गोसुल माला ॥१॥ [ ३ ] अ चडाचित्रिण-णा इउ ॥ १ ॥ संचालित से रु-महहरु ॥२॥ पण तारायण पन्ति ॥३॥ अहं जड़ समहरु ॥ ४॥ ह-मण्डलु वि चकर्हि तर्हिति ॥५॥॥ । तिहि अङ्गारउ तिहि जि सचिन ॥६ अष्णु त्रि जोषण-पिणु ॥ ७ ॥ लहु सिंहाणे विउ भारत ॥ ८ ॥ चत्ता मन्द दरिया कीयहीँ । कि होइ पण होइ य जीयहाँ ॥९॥ [ ४ ] ॥२॥ पहाडमर-किङ्कर-कर-वादिय ॥३॥ । केहि मि बोसिड चउत्रिहु म सराय-पयगय-तालगाई मि ॥ ३ ॥ बारह- तालउ सोलह अवरु ॥४॥ पत्र-रस- अनुभाव संजुत ॥५॥ -:
SR No.090353
Book TitlePaumchariu Part 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages371
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size5 MB
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