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________________ पदमचारव पाबार विग्णि घड गोडरा। बारह गण वारह मन्दिराई ।। गम्मिय पर मानव-धम्म जाम। घरमा केण वि गरेंग शाम ten बलम संशामहि घचा विधि सेमिना सारा । माहि लो जग-गुरू भाभो ॥५॥ जण-बममई कण्णुप्पलिकरेवि। सिंहासण-सिहरहाँ भोयरेवि ॥१॥ गड़ पयाँ सच रोमम्चिया। पुणु महिपलें णाविउ उत्तम ।। देवाविय लहु भागन्द-मेरि। यरहरिप वसुन्धरि जग-जणेरि १३ स-कल स-पुसु स-पिण्डवासु स-परियण स-साहणु सहासु ॥ गाउ वन्दम-इसिएँ जिणवरासु प्रासपणीहून महोहरासु ॥५॥ समसरण दिङ्ग हरिसिर-मणेण । परिवेबिउ वारहबिह-गणेण ॥६॥ पछिलए कोट्टएँ रिसि-संधु दिव। बीचएँ कप्पङ्गण-अणु गिविलु ॥ तयएँ अजिय-गणु साणुराउ। बजथएँ जोइस-वर-भराउ ॥४॥ पसमें विसरिज सुवासिणोउ। छट्टएं पुणु-भवण-णिवासिणीउ ॥ सप्तम भाव गिग्वाण साव। भट्ट में विन्तर संसुद्ध-भाव 11101 पत्रमएँ जोड्स मिउत्तमा। दहमर कप्पामर पुलाइयङ्ग ।११॥ एमारहमए गरवर णिबिट्ट। वारहमए तिरिय मत दिट्व ।।१२। घत्ता दि भगारट वीर-जिणु सिंहासण-संठिठ। विरम-मत्व सुइ-णिसएँ भ मोक्खु परिट्रिट II
SR No.090353
Book TitlePaumchariu Part 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages371
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size5 MB
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