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________________ पडमचरिठ पणवेवि महिल-तिस्पकरहों।। प्तइलोक-महारिसि-कुलहरहों ॥१६॥ पणवेप्पिणु मुणिसुश्चय-निगा। देवासुर-किना-परहित एणवेच्पिणु गमि-णेमीसरह। पुणु पास-वीर-तिस्थक्करहँ ॥१८॥ पत्ता इय चउवीस वि परम-मिण एणवेप्पिणु मावें। पुणु मापाणउ पायमि रामायण-कावें ॥३९॥ पदमाण-मुह-कुहर-विणिग्गय । रामकहा-गह एह कमागय ॥३॥ भक्तर-वास-बकोह-मणोहर। सु-अलकार-छन्द-मच्छोहर ।। दीद-समास-पवाहावष्टिय । सक्षम-पायय-पुलिणासतिष ॥॥ देसीमामा-मय-तडजल । कवि दुक्कर-षण-सर-सिहायक na मस्य-वहल-कस्कोडाणिद्विप। भासासम-समतह-परिटिन ॥५॥ एर रामकह-सरि सोहन्ती। गणहर-देवहिं दिट्ट पहन्ती ॥३॥ पर इन्मभू-आयरिएं। पुणु भम्मेण गुणारिएं ॥७॥ पुश पहवें संसाराराएं। कितिहरेण अणुचरवाएं ॥८॥ पुणु रविसेणारिय-पसाएं। बुद्धिएँ भवगाहिय कराएं ॥२॥ पउमिणि-मणि-गम्भ-संभूएँ। मास्यएव-रूप-अणुराएँ ॥१०॥ भइ-तणुएण पईहर-गसें। विवर-णासें पविरलन्दनीं ॥१॥ घसा णिम्मल-पुण्ण-पवित्त-कह- किसणु भावप्पा । जेम समाणिमन्तएँण घिर कित्ति विढप्पह ॥१९
SR No.090353
Book TitlePaumchariu Part 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages371
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size5 MB
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