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________________ पउमचरित पत्ता तो एवं विसेसें वि सर संपेसवि छिण्णु जयन्तहो तगड धड । गयङ्गण-सच्छिह कमल-दच्छिहें हारु णाई उरचलें वि गड 111 दहमुह-पिसिएण दणु-वेद-दारणेणं । मुखमूति मत हो काम पाहणे ॥१॥ एउ ण जाणहुँ कहिं गउ सन्दणु । बुबाउका वि कह वि सुर-णन्दणुगरण दुक्खु दुक्खु मुच्छा-विहलाछु। उहिर उख-सुण्ड गं भयगल ॥३॥ मोसण-भिडिवान-पहरण-धरु। जाउहाण-रहु किड सय-सबह 11॥ सो वि पहार-विहुस मियोपण। मुच्छ पराइड पसरिय-चेयणु ॥५॥ धाइउ धुणेवि सरीरु रमाण । कर महागहु णा िणाहणे ॥६॥ विम्कि मि दुजय दुखर पवयन । विणि मि भीम गयासणि-करपल७n धेणि मि परिभमन्ति गाह-मण्डलें। लोह दिन्ति रावणे आरक्षण्वलें ॥८॥ सुरवा-णन्दणेण आयावि। कुलिस-दण्ड-सम्णिह गय भामवि॥९॥ पत्ता आहर वरदयले एडिउ रसायो पाण-विवनिड स्थणियन । जड जात जयम्तहों णिसियर-तम्यहाँ चित्तु णाई सिरे स्य-णिया ॥१०॥ [] जं सिरिमालि पारिओ अमर-णन्दणेणं । वा इन्दा पधाविमो समठ सन्दमेण ॥॥ मेरे दुधियद्ध मम ताउ वहघि कहि जाहि सत॥१॥ बलु क्लु हयास म. जीवमाण कहि जीविपास' ॥३॥ पक्षणेप सेज मर धणुहर किड सुर-णम्दरेय ॥४॥ सत्यरिय के पि समरणे सर-मंदबु करेवि II रिज मरणेण भायामें चि दहमुह गणेण ॥६॥
SR No.090353
Book TitlePaumchariu Part 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages371
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size5 MB
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