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________________ पडमचरित पत्ता गर-हयनाय गत्तई रह-धय-छत्तई सम्बई खणे उलियाई । हि कुलई पुपुतं तिह वदन्ते वेणि वि सेण्णाई मलियइँ ॥१०॥ [२] विटमम-हाव-भाव-मूमरछराई । लाय. सुर-विमाणई धूलिधूसराई ।। ताव हेइ-बट्टणेण काल। उच्छलियउ सिहि-जाला-मालउ ॥२ सिवियहि छत्त-धहि कग्गन्ति । अमरविमाण-सयाई दहन्तिउ ॥३॥ पुणु पच्छा सोपिय-जल धारउ । स्य-पसमणउ हुआस-शिवारउ ॥४॥ साहिं असेसु दिसामुष्टु सिसउ । थिङ गहु णाई कुसुम्भएँ वित्त ॥५॥ भण्णउ परियत्तउ गयणहों। पां घुसिणोलिड शह-सिरि-कहाँ ॥ जाय वसुन्धरि रुहिराथम्बिर। सरहस-सुबह-कबन्ध-परिचार ॥ करि-सिर-मुत्ताहलेंहिं विमीसिय । सन्म व ताराइण्ण पदोसिय ॥॥ रद खुष्पन्ति वहन्ति ण पाई। वाहण-जान-विमाणहूँ थाई ॥९॥ __ घत्ता सहएँ वि महारणे मेइणि-कारणे रतें ममन्ते तरन्ति गर । जुज्यन्ति स-माकर तोसिम-अच्छर णाई महगणवे धारिबर ॥१॥ ] तो गजन्त-मस-मायक-वाहणेणं । अमरिस-कुछ एण गिम्बाण-साहमेणं ॥१॥ जारहाण-साइणु पटिपेलिउ । णं खय-सायरेण जग रेलिक ॥॥ मिसियर परिभमन्ति पहरण-भुन । णं आवस-शुद्ध जक-युम्वुव ॥३॥
SR No.090353
Book TitlePaumchariu Part 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages371
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size5 MB
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