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________________ १५२ पहर लेह वायण-खणेण । पहस्तु सहर-ग लवल-बल-दरिसणेण । पश्चरण पउमचरिय पहरखु नराहिउ जमथाण परिनि जिह दिवसुतेम froाप्य राय । पहिलए पहर विचिन्तमाणु | वीय गुणणे त्रि पहाणासणेण । तयएँ जय तूर- महारवेण । चरस्थऍपमें सोच-षण । छह-पष्टह- घिडणेण । सप्तमेँ मन्तिहि स मन्तणेण । अट्टमें सासणार- पेसणेण । महणसि परिपुच्छ आखणेण । इथ सोलह-भाएँ हि मणु जुज्झहों उप्पर सासणहर हेरि-विसजमेण ॥३॥ अश्वगन् र-ग-म-इ-गवेसणेण ॥८॥ घसा सेणावइ-संभावण परमण्डक - आरूसणेण ॥१२॥ [2] णिसि णेह करेपिणु अट्ट भाय ॥१॥ अच्छे णिगूद्ध पुरिसें हिं समाणु ५२ अहवह पवरह- खुड-इ-संसणेण ॥ ३ ॥ अन्तेउरु विसद् मणुच्छषेण ॥४॥ चदिसु दिवेण परिरक्खणेण ॥५॥ सम्मरयसत्थ- परिक्षण ॥ ६ ॥ णिय - रज्ज - कज्ज -परिचितणेण ॥ ७ ॥ सुविधा में वेज्ज-संभासणेण ॥८॥ पिम्मिति पुरोडिय घोसणेण ॥९॥ धत्ता दिवसु विरयणि विशिष्वह । तासु णिरास्डि उच्छह ॥ १० ॥ [ * ] सुम्हš हूँ एक्कविणाहिँ सन्ति । सुविण वाळसणें जें णड मिह सत्तु | जय णामउ छु छु दसासु विण हुब उच्छाइ सस्ति ।।१७ नाह मंसु जि क्रिउ कुठार-मेन्तु ॥२॥ जब साहित विजा-सहासु ॥३॥
SR No.090353
Book TitlePaumchariu Part 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages371
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size5 MB
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