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________________ २४२ पजमधरिड पार धीरे वि मरु सिकरें वि। तहों तणिय तणय कश्यले धरै वि || णघ णव संबर तेत्यु थिउ। पुणु दिण्णु पयाणउ भगहु गउ |॥२॥ पेमवि सवणु आसकिपउ। महु महापुराहिउ पमिकियउ ||३| जसु चमरें अमरें दिपणु वरु। सूलाउछ सयलाउह-पयरु ॥४॥ णिय सणय तासु लाएवि करें। घिउ णयर गम्पि कइलास-धरें ॥५॥ . मन्दाइणि दिट्ट मनोहरिन । ससिकन्त-णीर-णिज्मर-मरिय ॥६॥ गय-मय गई गइलिय-उभय-तः। स-नुरझम-कुझर गाय भड़ ॥७॥ वन्देप्पिणु जिणदर-भवणारे । दहमुहु दक्खचाइ णियाणाई ॥६॥ 'ह, सिद्ध सिद्धि-मुहकमल-अलि । जिष्णवरु भरहेसर याहुबलि ॥९॥ धत्ता प्रधु सिलासणे अत्तावा मच्छिउ' यालि-भडारउ | जसु पय-मागरें गरुवारण हउँ किउ कुम्मायारउ' ||१०|| E ] जम-धणय-सहासकिरण-दमणु। जंघिउ अट्टावएँ दहवयणु ॥ संपत्त वत्त णलकुवरहीं। दुल्लम-णयर-परमेसरही ॥२॥ परिचिन्तिज 'हय-गाय-रह-पव। भासपणे परिट्टिएं घरि-वलें 11३1 एरथु वि भमराहिवें रण अजएँ। जिण-चन्दणहत्तिएँ मेरु गएँ । एह अवसर उबाउ कवणु'। तो मन्ति पत्रोल्लिड हरिदवणुः ।।५|| 'वलवन्त जन्तई उपहाँ। चदिसु भासाल-विज उवहाँ ॥६॥ जं होइ अउ अभेउ पुरु। ता रक्खहुँ पापहजाण सुरु' ॥७॥ के णिसुणे वि तेहि मि तेम किउ । सत्-धिसु व ण पर दुलह पिड ॥६॥
SR No.090353
Book TitlePaumchariu Part 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages371
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size5 MB
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