SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 272
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २४. पउमचरित [-] गुरु घन्दिय दिगण, भासणई। मणि-वेयडियाँ सुह-दसणहूँ ॥॥ मुणि-पुंगड चवा विसुद्धमइ। 'मु सहसकिरणु लंकाहिवः ॥२।। ऍहु चरिमदेहु सामण्णु ण कि। महु सणउ' भव-राईब-रवि' ॥३॥ सं णिसु धि जम कम्पावणेण। पपवेपिपगु वुश्च रावण ॥४॥ 'महु एण समाणु कोउ कवणु ! पर पुजहें कार आउ रणु ॥५॥ भजु वि एड जें पहु सा जि सिय । अणुहुजउ मेइणि जेम लिय' ॥६॥ तं णिसुणवि सहसकिरण चवइ । 'उत्तमहाँ एउ कि संभवह ॥७॥ से मणहर सलिल कील करेंवि। पई समउ महाहचे उत्थरे वि || पत्ता एकहि भायर दिनकायों राय-सियएँ कि किजई । परि थिर-कुलहर अजरामर सिद्धि-बहुव परिणिनई ॥५॥ ते वयणे मुक्कु विसुद्ध-मइ । माईसर-पवर-पुराहिवइ ॥१॥ णिय-गन्दणु णियय-धाणे थवे धि । परियणु पट्टणु पय संथ पि ॥२॥ णिकखन्न खण, निगय-भज। रावणु वि पयाणउ देवि गउ ॥३॥ परिपेसिड केहु पहाणाहाँ। मणरणहाँ उज्झहें राणाहों ॥४ मुह बत्त कहिय 'दहमुहेण जिउ । लइ सहसकिरण लव-घरौँ थिड' ॥५॥ संणिसुणेवि गरवाह हरिसड़1 ईसीसि विसाउ परिसियाउ ॥६॥ संगाम-महासाहि दूसहहाँ सिय सयल सगप्पेचि दसरहदो ॥७ सहससि सो वि णिक्खन्तु पहु। अपणु वि तहाँ तणा अणन्तरदु 1८ घत्ता ताम सुकेसेंण कोण जमहर-भणुहरमाणउ । जागु पणासधि रिड तासें वि मगहहँ भुक्कु पयाणउ ॥९॥
SR No.090353
Book TitlePaumchariu Part 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages371
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy