SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 268
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ पबमचरिड पहरणई पवण-गिरि-वारि-चि। भाएहि सरिस नमें भीरु ण वि'॥५॥ तं णिसुणवि णिसियर लज्जियई। थिम मनियल विस्ज- विनियई ॥६॥ तो सहसकिरणु सहसहि करेंचि । णं विद्इ सहस-सहस-ससहि ॥७॥ दूरहों जि णिरुद्धउ वहरि-वल। णं जम्बूदी। उवहि-जल ॥४॥ पत्ता अमुणिय-यापहों किय-संधाणहों दिदि-मुहि-सर-पयरहों। पासु ण दुकह से उल्लुकह तिमिरु जेम दिवसयरहो ॥९॥ [५] अट्टायय-गिरि-कम्पावणहाँ। पहिहारे धम्खिड़ रावणहों || 111 'परमेसर पक्के होम्तएँण । वलु सयलु परिउ पहरन्तऐज ॥२॥ रणें रहबर एक्कु जें परिभमा 1 सन्दप-महासु णं परिममइ ।।३।। धणु एक्कु एक्कु णरु कुछ ज कर । चउदिसहि णवर णिवदन्ति सरा कर कहीं वि कहाँ चि उरु कप्परिउ । करि कहाँ वि कहाँ वि रहु जसरित।५॥ तं णिसुणेवि उवहि जेम खुहिट । बहु सिजगनिनुसण भारहिट ॥३॥ गड तेत्तहें जेसह सहसका। कोकिउ 'मरु पाब पहरु पहरु ॥७॥ हउँ रावणु दुजउ केण जिउ । जे पाराउट्ठर धड किड' ||४ih घत्ता एम भणन्तण विद्वन्तण स-रहि महारह छिण्णा । पणइ-सहास हिं चउ-पासे हिं जसु चदिसु विपिखपणङ ॥॥ माहेसरपुर-बद विरह किउ पं अंजण-महिहरें सरय-वणु। णिविसई मत्त-गाइन्दै थिउ ॥१॥ उत्थरिउ स-मार गोड-धणु ॥१
SR No.090353
Book TitlePaumchariu Part 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages371
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy