SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 256
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ६५५ पउमचरिड घसा सलील-तरन्तहु उम्मीलन्तहुँ मुह-कमल हुँ केह पधाइय । भाय सरस किप (?) सामरसह परवदह भन्ति उप्पाइय ॥९॥ अषरोप्पक जल-कोल करतहुँ। धण-पापालि-पहर मेल्लन्तहुँ ॥१॥ कहि सि चन्द-कुन्दु जल-तारं हि । धवलिउ जलु सुहन्त हि हारहि ॥ कहि मि रसिङ णेउर हि रसन्त हि । कहि मि फुरिंड कुण्डले हि फुरन्ते हि ।। कहि मि सरस-तम्बोलारसउ। कहि मि वउल-कायम्बरि-मत्तड ॥४॥ कहि मि फलिह कप्पर हि वासिङ । कहि मि सुरहि मिगमय-वामीसिउ । कहि मि विविह-मणि-रयन लियाउ । कहि मि धोम-कजल-संवलिया॥ कहि मि पहल-कुकम- पिरियड । कहि मि मलय-चन्दण-रस-भरियउ ॥ कहि मि जक्खकदमा करम्विउ । कहि भि भमर-रिन्छोलिहि चुम्विाजा पत्ता विद्दुम-मरणय- इन्दणील- सय- चामियर-हार-संवाए हि । बहु-वण्णुजलु गाव णहयलु सुरवणु-धण-विज्ज-वलायहि ॥५॥ [ ७ ] का घि करन्ति केलि सहुँ राएं। पहण कोमल-कुषालय-धाएं ॥१॥ का विमुख दिप सुविसाल' । का वि णवल मल्लिय-मालएँ ॥२॥ का वि सुयन्धेहि पाइलि-दुले हि । का वि सु-पूय फलं हि वउल्ले हि ॥३॥ का वि जुण्णवणे हि पणिऍहि । का वि स्यण-मणि-अवलम्वणिएँहि ॥ का वि विलेखणेहि उव्यरियहि। का वि सुरहि-दवणा-मारियहि ॥५॥ कवि गुज्छ जले अधुम्मिलुङ । णं मयरहर-सिहरु सोहिलउ |
SR No.090353
Book TitlePaumchariu Part 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages371
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy