________________
पउमचरित
[ ४ ] सो वसन्तु सा ग्वा तं जलु। सो दाहिण-मारउ मिय-सीयल | ताइं असोय-णाय-चूय-वणई। मझुरि-महुर-सरइँ लय-मवपाई ॥२ ते धुयगाव ताउ कारोलिंच। ताड कुसुम-मरि-सिम्कोलिउ ॥१॥ ते पल्लव सा कोल-कलयल। सो कयह कैसर-स्य-परिमल ॥४|| ताउ यवल मल्लिय-कलियउ। दवणा-मारियड णव-फलिया ॥५॥ ते अन्दोला तं भुवईयणु । पक्रववि सहसकिरणु हरिखिय-मणु ॥६ सहुँ भन्त उरेण गर तेतह। णम्मय पर महागइ जेन( ।।७।। दूर शि: आरक्खिय-णिय-वलु। जल जन्ति हिं णिरुद्ध णिम्मलु ।।
पत्ता वद्धिय-हरिसउ जुबहि सरिसर माहेसरपुर-परमेसरु । सलिलभन्तर माणस-सरवरें चंपइट सुरिन्दु स-अकरु ॥
सहसकिरणु सहसति णिउ.वि । भाड णा महि-बहु अवरुण्डै वि ॥१ दिह मउड अम्मिल्लर। रवि व दरगमन्नु सोहिल उ ।।२।। दिट्ट मिजाज क्यणु बच्चस्थलु । णं चन्दङ्घ कमलु पह-मपदल ॥३॥ पभणह सहसरासि 'लह तुकहाँ। अन्मही रमहाँ हाहाँ उलुकहों' ॥ तं णिसुणे वि कडक्रस-विक्वविउ । बुखाउ उकासव महाविड ।।५।। उपपरि-कायह-गियरु परिटिज। णं रसुप्पल-सपटु समुष्ट्रिड ।। ६।। ण केयह-आरामु मणोहरू । जरा-सूह कउल्ला केसा ॥७॥ महुपर सर-भरेण बल्लीणा। कामिणि-मिसिणि मणे वि णं कोणा ।