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परामचरित
[१४. चउदहमो संधि विम्ले विहाण कियण पयाणाएँ उययइरि-सिहर रषि दोस । 'मई मलप्पिणु मिसिया लेप्पिणु कहिं गय णिसि' गाई गवेसह ।।१।।
सुप्पहाय-दहि-अंस-वण्णउ । कोमल-कमल-किरण-दर-ऋणड ॥१॥ जय-हर पइसारिउ पइसन्ते । णावइ माल-कलसु इसन् ॥२॥ फग्गुण-खलहों वूउ गोसारिउ ।। जेण विरहि-जणु का व ण मारिउ॥३॥ जेण षणप्पाइ-पय विभाडिय। फल-दल-रिति-मइष्फर सासिय ॥४॥ गिरिवर गाम जेण धूमाविय। बण-पट्टण-णिहाय संताधिय ॥ सरि-पवाह-मिहुण णासन्त, जे वरुण-घण-णियलेंहि पित्तई ॥१॥ जेण उच्छु-विड जन्ते हि पीलिय । पव-मण्डव-णिरिक भावीसिय ॥ ॥ जासु रजें पर रिद्धि पलासहों। तहाँ मुड महले वि फरगुण-माप्तहाँ॥८॥
पत्ता पय-अयणड कुवलय-णयगड केयइ-केसर-सिर-सेहरु । पल्लव करयलु कुसुम-णहुनलु पइसरइ वसन्त-परेसर ||५||
। [२] ओला-सोरण-वारें पईहाँ। पहर वसन्तु वसन्त-सिरी-हरें ॥१॥ सररुह-वासहर हि रवणेउरु ।। अ.यासिङ महुअरि-मन्तउरु ॥२॥ कोहल-कामिणीउ उजाणेहि ।। सुय-सामन्त लयाहर-थाणे हि ॥३॥ एकप-रत-दण्ड सर गियर हिं। सिहि-साहुलउ महीहर-सिहरहि।