SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 250
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २१८ परामचरित [१४. चउदहमो संधि विम्ले विहाण कियण पयाणाएँ उययइरि-सिहर रषि दोस । 'मई मलप्पिणु मिसिया लेप्पिणु कहिं गय णिसि' गाई गवेसह ।।१।। सुप्पहाय-दहि-अंस-वण्णउ । कोमल-कमल-किरण-दर-ऋणड ॥१॥ जय-हर पइसारिउ पइसन्ते । णावइ माल-कलसु इसन् ॥२॥ फग्गुण-खलहों वूउ गोसारिउ ।। जेण विरहि-जणु का व ण मारिउ॥३॥ जेण षणप्पाइ-पय विभाडिय। फल-दल-रिति-मइष्फर सासिय ॥४॥ गिरिवर गाम जेण धूमाविय। बण-पट्टण-णिहाय संताधिय ॥ सरि-पवाह-मिहुण णासन्त, जे वरुण-घण-णियलेंहि पित्तई ॥१॥ जेण उच्छु-विड जन्ते हि पीलिय । पव-मण्डव-णिरिक भावीसिय ॥ ॥ जासु रजें पर रिद्धि पलासहों। तहाँ मुड महले वि फरगुण-माप्तहाँ॥८॥ पत्ता पय-अयणड कुवलय-णयगड केयइ-केसर-सिर-सेहरु । पल्लव करयलु कुसुम-णहुनलु पइसरइ वसन्त-परेसर ||५|| । [२] ओला-सोरण-वारें पईहाँ। पहर वसन्तु वसन्त-सिरी-हरें ॥१॥ सररुह-वासहर हि रवणेउरु ।। अ.यासिङ महुअरि-मन्तउरु ॥२॥ कोहल-कामिणीउ उजाणेहि ।। सुय-सामन्त लयाहर-थाणे हि ॥३॥ एकप-रत-दण्ड सर गियर हिं। सिहि-साहुलउ महीहर-सिहरहि।
SR No.090353
Book TitlePaumchariu Part 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages371
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy