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पउमचरित काथइ बणयर णिग्गय गुहेहि। गं वमा महागिरि बहु-मुहेहि ॥६॥ उच्चलिउ कहि मि जल धवल-धारू । पां तुडेवि गउ गिरिवरहो हास ॥७॥ कस्थइ उट्टियाँ बलाय-सयई। पां तुटुंचि गिरि-अट्ठयई गयई ॥४॥ कायह उच्छतियाँ विरमाई। णं रुहिर-फुलिङ्ग अहिणबाई ॥९॥
.. पत्ता अण्णु वि जो अण्णहाँ हत्यण णिय-थापगहों मेलावियउ । णिचालु ववसाय-विष्णउ कवणु ण आवइ पाविया ॥१०॥
दुबई ताम फडा-कसप्प-विष्फुरिय-परिपफुल-मणि-णिहायहो ।
पासण-कम्पु जाउ-पायालयले धरणिन्द-यही ॥३॥ अहि अवहि पउ’ वि आउ तेरथु । रावणु केलासुधरा जेत्थु ॥२॥ जहिं मणि-सिकायलुप्पीलु फुटु । गिरि-डिम्भहाँ णं कडिसरउ सुटु ॥३॥ दहि बणयर-थट्ट-माटु म। जहि वालि महारिसि सोनसरगु॥॥ जल-मल-पसाहिय-सयम्हनात्तु । विजा-जोगेसरु रिद्धि-पत्तु ॥५॥ सिण-फणयकोडि-सामग्ण-भाउ । सुहि-सत्तु-एक-कारण-सहाउ ॥६|| सो जइवरु कुञ्चिय कर कमेण । परिश्रञ्चिड णमिड भुअरमण ॥७॥ मयिक-साथ-सीसावलि बिहाइ। किय अहिणव-कमलमणिय पाई ॥४॥ रेहद फणालि मणि-विप्फुरन्ति । णं योहिय पुरउ पईच-पन्ति ॥५॥
पत्ता
पणचन्हें इससयलोषणय हेटामुक्षु कहलासु णित । सोणिक दह मुहहि वहन्तर दहमुहु कुम्मागाह किउ ॥10॥