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________________ २०६ धत्ता जं पइँ परिहरि, दिण्ण तं सन्तर अलवमि । पाहाण जेम उम्मूषि कलास ॐ लायरे विवमि ॥ १०॥ अहबड़ भुवइन्द-ललन्त-जालु । भव णं वसु मङ्गीहरा हूँ । मभषेत्रि सति पश्चि इव वालि तण सावेणं । तलु भिन्देवि पडु महिदारणिय हें बिजहें पहावेणं ॥१॥ चिन्तेष्पिणु विज-लहरतु तेण । सुप्रसिद्ध सिद्ध न्द्र-संसु । अहवड़ णवन्तु दुकिय-मरेण । अहबद्द चलवल भुअङ्ग-थट्ट्टु । खोलक्खड खोणि- खयालु माइ । गिरिवरेण - चउ-समुद्द | पउमचरि जं गयउ आसि णासेपिशु तं मण्ड हरेच पडीवर [ 8 ] दुबई करथह विहडियाँ सिलायला हूँ । करथइ गय णिनाय - सुण्ड । करइ सुअ-पति जडियाउ । कथह भमरोलिङ धावडा | उम्मूकिङ महिहरु दद्द मुद्देण ॥२॥ पावर प्युमियय-वसु ॥३॥ लोक्कु वखित्त (?) व जिणवरेजः ॥ ४ ॥ गीसारिव महि-अवरों व बालु॥५॥३ छोदानिय बालाविरा ॥ ५॥ णं धाणि-अन्त- पोलु त्रिखट्टु ॥*॥ पायालद्दों फावि उरु लाहूँ ||८|| भहिमुह उत्थाविय रव ॥ ५९॥ घत्ता सायर-जारें माणियड | अल-कु-फलतु व आाणियज ॥ १० ॥ [4] दुवई सुरवर-पचरकरि-कराकार- करम् गुग्गामिएँ घरे | भग्ग-भुङ्ग - उमा-मिस्गय-विसग्गलग्गन्त कन्दरे ॥१॥१ सहलाई कियई व खलहलाई ॥२॥ णं धाएँ पसारिंग बाहु-दण्ड ॥३॥ णं सुइड मरगम कण्डिया ॥१४॥ उति व कलासहों जढा ॥५॥
SR No.090353
Book TitlePaumchariu Part 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages371
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size5 MB
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