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धत्ता
जं पइँ परिहरि, दिण्ण तं सन्तर अलवमि । पाहाण जेम उम्मूषि कलास ॐ लायरे विवमि ॥ १०॥
अहबड़ भुवइन्द-ललन्त-जालु । भव णं वसु मङ्गीहरा हूँ ।
मभषेत्रि सति पश्चि
इव वालि तण सावेणं ।
तलु भिन्देवि पडु महिदारणिय हें बिजहें पहावेणं ॥१॥
चिन्तेष्पिणु विज-लहरतु तेण । सुप्रसिद्ध सिद्ध न्द्र-संसु । अहवड़ णवन्तु दुकिय-मरेण ।
अहबद्द चलवल भुअङ्ग-थट्ट्टु । खोलक्खड खोणि- खयालु माइ । गिरिवरेण - चउ-समुद्द |
पउमचरि
जं गयउ आसि णासेपिशु तं मण्ड हरेच पडीवर
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दुबई
करथह विहडियाँ सिलायला हूँ । करथइ गय णिनाय - सुण्ड । करइ सुअ-पति जडियाउ । कथह भमरोलिङ धावडा |
उम्मूकिङ महिहरु दद्द मुद्देण ॥२॥ पावर प्युमियय-वसु ॥३॥
लोक्कु वखित्त (?) व जिणवरेजः ॥ ४ ॥ गीसारिव महि-अवरों व बालु॥५॥३ छोदानिय बालाविरा ॥ ५॥ णं धाणि-अन्त- पोलु त्रिखट्टु ॥*॥ पायालद्दों फावि उरु लाहूँ ||८|| भहिमुह उत्थाविय रव ॥ ५९॥
घत्ता
सायर-जारें माणियड |
अल-कु-फलतु व आाणियज ॥ १० ॥
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दुवई
सुरवर-पचरकरि-कराकार- करम् गुग्गामिएँ घरे |
भग्ग-भुङ्ग - उमा-मिस्गय-विसग्गलग्गन्त कन्दरे ॥१॥१
सहलाई कियई व खलहलाई ॥२॥ णं धाएँ पसारिंग बाहु-दण्ड ॥३॥ णं सुइड मरगम कण्डिया ॥१४॥ उति व कलासहों जढा ॥५॥