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पडमचरित
[ ] पुप्फ-विमाणहाँ लोणु दसाणणु । दिहु णिवत्थु किड कंस-णिबन्धणु॥१॥ सइय लट्टि उग्बोसिउ कलयल। वह हयई पधाइड मयगलु ॥२॥ अहिमुडु धणय-पुरन्दर-वहरिहें। वासारतु जेम विश्नहरिहें ॥३॥ पुक्खर ताडिउ लश्कुडि-धाए। जावइ काल-मेहु दुन्याएं ॥३॥ देह ण देइ वे रे जावे हि । विजुल-विकसिय करणे ताहि ॥५॥ पछले चटिड धुणेवि भुव-डालिउ । 'बुदबुद मणेवि खन्धे अपफालिउ॥६॥ जकिउ पुणु वि कोणालिवि। सुषिणा(१)दइड जेम गउ लविताका खणे गण्डयलें ठाइ खणे कन्धरें। खर्ण चरह मि चरणहुँ अन्भन्तर
घत्ता दीसह णासह विष्फुरइ परिममइ बदिसु कुसरहीं। चलु तसिजह गयणन्यले गंवि-पुष णव-जलहरहा ॥९॥
[ . ] हस्थि-विधारणाउ एयारह । अण्णड किरियड वीस दु-बारह॥१॥ दरिसेंथि किउ गिफन्दु महाभाइ । धुत्तं वेस-मर व मग्गउ ॥२॥ साहिउ मोक्नु र परम-जिणिन्दें । 'होउ होड' णं रजिट गइन्दै ॥३॥ 'भले भलें' पाणि घलगु समपिउन येण वि वामझगु वरिपउ ॥१॥ कपा धरवि आरूदु नहाइड। करवि रियारण अछकुसु लाइड ॥५॥ तेण विमाग-जाग-आगन्दै । मंस्लिउ कुसुम-वासु सुर-विन्दें। णविउ कुम्भयपणु स-विहीसागु । हस्धु पहत्थु वि मउ सुरसारणु ॥॥ मल्लवस्तु मारिषु महोयरु। रयणासन सुमालि जोयर ॥८॥