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________________ 14 पचमचरिउ होकर रामसे मिल जाता है । अन्त में रावण मुद्धमें मारा जाता है और राम विभीषणको राज्य सौंपकर अयोध्याके लिए कूष करते हैं । राज्याभिषेकके बाद तुलसोका कवि रामराज्यकी प्रशंसा करता है। भक्ति और ज्ञान के विश्लेषणके बाद कवि पूर्वजन्मोंका उल्लेख करता है । अन्त में काकभुशुण्डी गरुड़के प्रश्नों का उत्तर देते हुए कहते है कि संसारका सबसे बड़ा दुख गरीबी है और सबसे बड़ा धर्म अहिंसा है। दुसरोंकी निन्दा करना सबसे बड़ा पाप है। सन्त वह है जो दूमरों के लिए दुख उठाये और असन्त वह जो दूसरोंको दुख देने के लिए स्वयं दुख उठाये । इस फल कथनके बाद रामचरित मानस समाप्त होता है । कथानक पउमचरिउ और रामचरित मानसके कथानकोंकी तुलनासे यह बात सामने आती है कि एकमें कुल पांच काण्ड है और दूसरमे ७ काण्ड । ! 'मानस'को मूलकथाका विभाजन आदिरामायणके अनुसार सात सोपानों में है । 'चरिउ' में सात काण्डकी कथाको पाँच मागों में विभक्त किया गया है । 'चरित' का विद्यापर काण्ड 'मानस' के बालकाण्डको कषाको समेट लेता है, दोनों में अपनी-अपनी पौराणिक रूढ़ियों और काव्य सम्बन्धी मान्यताओं के निर्वाह के साथ, पृष्ठभूमि और परम्पराका उल्लेख है । थोड़े-से परिवर्तनके साथ अयोध्या काण्ड और सुन्दर काण्ड भी दोनों में लगभग समान है, लेकिन 'चरिस' में अरण्य और किष्किन्धा काण्ड अलगसे नहीं है, इनकी घटनाएं उसके अयोध्या काण्ड और सुन्दर काण्डमें आ जाती है । मानसके अरण्यकाण्डकी घटनाएं ( चन्द्रनलाके अपमानसे लेकर जटायु-युद्ध तक ) चरिउके अयोध्या काण्डमें हैं। सथा किष्किन्धा काण्डको घटनाएँ ( राम-सुग्रीव मिलन, सीताकी खोज इत्यादि ) चरिउके सुन्दर काण्डमें हैं। वस्तुतः देखा जाये तो किष्किन्धा काण्ड और अरण्य काण्डकी घटनाएं एक दूसरेसे जुड़ी हुई हैं, और उन्हें एक काण्डमें रखा जा सकता है । स्वयम्भूने दोनोंका एकीकरण न करते हुए एकको उसके पूर्व के काण्डमें जोड़ दिया है
SR No.090353
Book TitlePaumchariu Part 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages371
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size5 MB
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