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________________ पउमचरिड किन्धेि दिल हजार णा घसा घउ राउलउ सु (?) पयणहर । करगल सिरिमालह तण ॥९॥ [१] णिय-णिय-याणेहि णियछु मच। महकवि-कब्धालाब छ सु-सच ॥५॥ भारूद सम्य मोसु तेसु खामियर-गत्त-मणि-भूसिपसु ॥२॥ परिभमिर-म मस्तकारिपसु । गिविहायवस-अन्धारिएसु ॥३॥ रविकम्त-कन्ति-उजालिंपस । क्षालावणि-सह-बमालिएसु ॥४॥ मसु तेसु थिय पड्ड चडेवि। चम्मह-गड णारिज्वन्ति (१) के वि ॥५॥ भूसंन्ति सरीर वारवार । कण्डाइँ मुमन्ति लयन्ति हार ॥६॥ सुन्दर सरकाय वि कण-दौर। अलि जि घिवन्ति मोवि थोर ॥७॥ गायन्ति हसन्ति पुमासणस्थ । अङ्गइँ मोडम्ति वलन्ति हस्य ॥८॥ स-पसाहपासव पत्ता थिय सम्मुह बरइत्त किन्छ । मायएँ आस समय जिह ||५|| 'किर होसह सिद्धि' [३] सिरिमाल साम करिणिहें वहा । विज्ञ्ज महा-घण-कोडि लग्ग 1 सवकाहरणालयरिय-देह । णं णहें उम्मिलिय चन्द-छेद ॥२।। अग्गिम-गणियारिहं चपिय धाइ। णिसि-पुरर परिट्टिय सम्म णाइ ॥३॥ दरिसाचिज गर-णिउरूम्यु तीएँ। णं पण-सिरि तरुवर महुयरीएँ ॥४॥ उखु सुन्दरि धन्दापण-कुमार। उग्घाउ जहु रणे दुण्णिवारु ॥५॥ बहु विजयसीहु रिउपलय-कालु । रहणेउर-पुरचर-सामिसाल ॥६॥ सयछ वि णरवर वशन्ति जाइ । भवराम सम्मादिहि पाएँ ॥५॥
SR No.090353
Book TitlePaumchariu Part 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages371
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size5 MB
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