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________________ पउमपस्वि धम्मेणाहरण-विलेवणहूँ। सम्मेण कल तइँ मणहरई। धम्मेण पिण्ड-पीणस्थणउ । धम्मेण मणुय-देवतणई। धम्मेण भरूह-सिद्धसणाई। धम्मेण गियासण-मोयण ॥ धम्मेण छुहा-पण्डर-घर ।।५।। चमरई पाडम्ति वरण ॥६॥ वलपव-दामुपवत्तणहूँ ।।। तिस्थकर-चकहरतणहूँ ॥८॥ घत्ता इन्दा वेव वि सेव करन्ति । घण्टाल वि पक्षणएँ ण ठन्ति' ।।९।। एम्में होन्तऍण भम्म-विहुणहों माणुसहों [५] सडिकेसे पुच्छिा पुणु वि गुरु। 'अण्णहिं भवे को हमें को व सुरु ॥३॥ जह जम्प "णिसुणुत्तर-दिसएं। जाभो सि आसि कासी विस ॥२॥ सु? साहु एहु धाशुषु तहि । आइउ तरु-मूले वि थिओ सि जहि ।।३।। शिगन्धु णिऍवि उवहासु कर । ईसीसुप्पण्णु कसाल तउ ॥४॥ मावि काविस्थ-साग-गमणु। पत्तो सि णधर जोइस-भवणु ॥५॥ स्यहाँ वि पवेपिणु सुद्धमइ । हओ सि एरथ काहिवइ ॥३॥ पाणुकित हिषि मनाहणें । उप्पण्णु पवामु पमय-वण ॥७॥ पई हउ समाहि-मरणेण मुर। पुणु गम्पिणु उवहि-कुमार हुड' ॥ll पत्ता संणिसुणे वि लकैसरेण रजें सुके थवे दि परमरथें । मुऐंवि कु-वेस व राम-सिय सब-सिय-बहुय सइय सह हस्य ॥११॥ [१ ] बं विजुकेसु णिगन्धु थिड। पो हि मुढिहिं सिरे कोड किड ॥॥ संकदय-मउग्र-कुण्डल-धरण। सम्मत लाउ दिव सुस्वरेण ॥२॥ पुत्थम्सर किक-पुरेसरहों। गड खेहु कादय-सेहरहों ॥३॥ महि-मपटक पतिउ दिदु किर। णावालउ गा-बाहु मिह ।।४।।
SR No.090353
Book TitlePaumchariu Part 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages371
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size5 MB
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