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________________ पडमचरित रेरित अणुपरछऍ लग्ग तहों। गब पासु पदीषा णिम-भिवहीं ॥६॥ पत्ता जोबदषाणु देव पाण एविणु पढ्छ । जिम सिवाकऐं सिद्धु तिम समसरणे पाइठ्ठल ॥९॥ तं णिसुणेवि पटु शत्ति पकिस्तउ । णं खट-हारु हुभासणे चित्त ॥1॥ 'मह मह जइघि साकहाँ । निवरण मूलाधा गाहा पइसा जइ विसरण सुर-सेवहूँ। दसबिह-भावममासिय-वेवहूँ ॥३॥ पाहसद अरवि सरणु थिर-थागहुँ । म बिहहुँ विन्तर-गिम्मागहुँ ॥४॥ पइसह अाइ थि सरण ज्वारहुँ। जोइस-वेवहुँ पम्च-पमारई ॥५॥ कप्पामगहुँ बह वि अहमिन्दहुँ। वरुण-पवण-वाइसवण-सुरिन्दहुँ । माह तो वि महु तोगदवाहणु' पइज करें वि गड दससमकोयषु ॥७॥ पेक्षेवि माणस्थम्भु जिणिन्दहों। मरकर माणु विगलित गरिन्यहो ॥४॥ सो वि गम्मि समसरण पाइहा। घिणु पणवेप्पिणु पुर जिविस ॥९॥ विशि मि मनन्तराइ प्रबरियई। विदिमिजणण-माइराई परिहस्यई. घत्ता मीम सुभीमहि ताम अहिणव-गहिय-पसाहणु। पुष्प-भवन्तर गेहें भवपिउ पणवाहणु ॥१॥ पमणा मोमु भीम-भहमाणु। 'तहे माटु अपा-भवन्सर अन्दा ॥१॥ जिहि घिस तिह एवहि मि पियार'! चुम्बिउ पुणु वि पुणु वि सयधार॥२॥ 'ला कामुक-विमाणु भषियारे । लड रक्ससिय विश्व सहुँ हारें ॥३॥ भाणु वि रमणायर-परिपश्चिम। दुप्पइसार मुरेति मि बधिय ॥५॥
SR No.090353
Book TitlePaumchariu Part 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages371
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size5 MB
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