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________________ पउमचरिड ससुमूरिय-चूरिय- हबराहूँ। दकषष्ट्रिय-लोहिय-रहयवरा ।।। रुहिरोलइँ सरे हि बिहावियाई। णं वे नि कुसुम्मे हि राधियाई ॥ पत्ता पेक्खें वि वलाई धुलताई महिहिं पढन्तई मन्तिाह भरिय म भण्डहों। किं वहिएण बराएं भव-संत्राएँ दिविजुलु वरि मण्डहीं ॥९॥ पहिलट जुज्झेवउ दिदि-मुझु। जल-जुझ पटीवर मल्ल-सुजल ॥३॥ जो तिणि मि जुम्मा जिणह अज्जु । तहाँ णिहि तहाँ स्यणहूँ तासु रनु॥२। तं णिसुणे वि दुक्खु णिपारियाइँ । साहणइ वे बि श्रोसारिया ॥२॥ लहु दिष्टि-अज्छ पारख तेहिं । जिण-णन्द-सुणन्दा-णम्दहिं ॥४॥ अवलोइड भर पदमु भाइ। कालासे कण-सइलु पाई ॥५ अस्थि-सियायम्भ विहाइ दिदि। णं कुवलय-कमल-पविन्द घिहि ॥६॥ पुण जोहड वाहुबकीसरेण । सरें कुमुय-सपद् गं दिणयरेण ॥७॥ अवरामुह-हंटामुह-मुहाई। णं वर-वहु-धयण-सरोरुहाई ॥८॥ । घत्ता उवरिलियएँ विसालएँ भिडि-करालएँ हैडिम दिहि पजिय । णं गव-नोवणइत्ती चञ्चल-चित्ती कुलबह इजएँ तज्जिय ॥९॥ [१०] जं जिणें वि पा सकिउ दिहि-जुज्झु । पारख त्यण सलिस-सुन्छु ||१|| जलें पाट्ट पिहिमि-पोयाय-परिन्द । णं माणस-सरवरें सुर-नाइन्द ॥२॥ पश्यन्तरें महि-परमेसरेण । श्रादोहे वि सलिलु समच्छरेण ॥६॥ पमा शलक सहोयरासु । णं वेल समुई महिहरासु ॥४॥ छुद्ध वाहुबलिहें बच्छयल पत्त । गिन्मच्छिय असइ च पुणु भियत्त ॥५॥
SR No.090353
Book TitlePaumchariu Part 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages371
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size5 MB
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