SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 74
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ नाश्ते का उत्साह कम हो गया। सब जल्दी-जल्दी नाश्ता समाप्त कर मन्त्रणामार में एकत्र हुए। पट्टमहादेवी और रानी लक्ष्मीदेवी ऊँचे आसनों पर जा बैठी। सचिव नागिदेवण्या उठ खड़े हुए। उन्होंने एम्बार से जो समाचार मालुम हुआ था, उसे सुनाकर कहा, "आचार्यजी के स्वागत के लिए क्या सब व्यवस्था करनी होगी, इस पर विचार करने के उद्देश्य से यह सभा बुलायी गयी है ! उपस्थित सभासद विचार कर अपनी-अपनी सलाह दें।" "अनुमति हो तो मेरा एक निवेदन..." कोनेय शंकर दण्डनाथ ने बात शुरू करनी चाही। ___ "पट्टमहादेवीजी सलाह दें तो हमारे लिए स्वीकार कर लेना आसान होगा।" बीच में ही तिरुवरंगदास ने कहा। ___ शंकर दण्डनाथ ने तिरुवरंगदास की ओर देखा। तिरुवरंगदास ने उसे चुप रहने का इशारा किया। शंकर दण्डनाथ बैठ गया। "दण्डनाथजी, बैठ क्यों गये? बोलिए!" पट्टमहादेवी ने कहा। उसने तिरुवरंगदास की ओर फिर देखा। "यहाँ के निर्णय धर्मदर्शी के नहीं। बोलिए, दण्डनाथजी।" शान्तलदेवी ने कहा। रानी लक्ष्मीदेवी ने अपने पिता की ओर देखा। उसने उस इशारे को नहीं पहचाना। कोनेय शंकर दण्डनाथ फिर उठ खड़े हुए। बोले, "यह मेरी सलाह नहीं, वास्तव में छोटी समीजी की सलाह है।" उसने सनी की ओर देखा। रानी ने आश्चर्य प्रकट किया। "मैंने कौन-सी सलाह दी?" वह पूछना चाहती थी। पिछली रात को शान्तलदेवी ने जो बात कही थी वह उसके मन में अभी भी चुभ रही थी। क्या बात निकलेगी, यह सुनना चाहती थी, इसलिए चुप रही। "मौन सम्मति का लक्षण है, यह मालूम नहीं दण्डनाथजी? कहिए। रानीजी को कहने में संकोच हो सकता है, इसलिए आप ही कहिए।" शान्तलदेवी ने कहा। अपनी पोष्य पुत्री का यों मौन रहना तिरुवरंगदास को कुछ खटका। फिर भी वह कुछ कर नहीं सकता था। वह कुतूहलपूर्वक दण्डनाथ की बात सुनने लगा। "छोटी रानीजी की एक महती अभिलाषा है। उसे कार्यान्वित करने के लिए मैंने राजधानी में एक पत्र भेजा था।" "किसे पत्र भेजा ध्या?" "वित्त सचिव मादिराजजी के पास।" "क्या लिख भेजा था?" शंकर दण्डनाथ ने ब्योरा बताया। "तो आपने इस बात को लेकर रानीजी के साथ विचार-विमर्श किया था?" 78 :, पट्टमहादेवी शान्तला : भाग चार
SR No.090352
Book TitlePattmahadevi Shatala Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorC K Nagraj Rao
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages458
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & History
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy