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________________ पूरा न हुआ हो।' "कहला भेजकर यदि समाचार जान लिया जाए..." "उससे केवल अपनी जल्दीबाजो ही प्रकट होगी। मैं उन्हें बहुत अच्छी तरह समझती हूँ। कान समार होने ११ उनकी ओर जरूर ही खबर मिल जाएगी। तब आप भी हमारे साथ चलेंगे।" "यहाँ का काम समाप्त हो तन्त्र न?" "कितने दिन के लिए! काम नियोजित रूप से चलता रहेगा। जल्दी होकर आ जाएँगे।" "लेकिन महासन्निधान जब युद्ध में लगे हों...'' "हाँ। उस तरफ मेरा ध्यान ही नहीं गया। सन्निधान के लौटे बिना मैं भी राजधानी कैसे छोड़ सकूँगी? वक्त आने पर विचार करेंगे।" शान्तलदेवी ने कहा। तब तक मन्दिर के अन्दर से घण्टी की आवाज भी सुनाई पड़ी।"आरती उतारने का समय हो गया है, चलें।" कहतो हुई शान्तलदेवी मन्दिर के भीतर गयीं। हरीश ने उनका अनुसरण किया। दोनों महादेव-लिंगों की आरती हुई, फिर चरणामृत और प्रसाद बाँटा गया। हरीश ने कहा, "आज सन्निधान जब से आयीं तब से केवल बातें और चर्चा ही होती रही। कार्य का निरीक्षण ही नहीं हो सका।" शान्तलदेवी, "चलिए देखें" कहती हुई आगे चलने लगी । हरीश जल्दी-जल्दी कदम बढ़ाकर उनके आगे हुआ और मार्गदर्शन करने लगा। इस युगल-मन्दिर के दक्षिण भाग में गणेशजी की एक सुन्दर मूर्ति तैयार थी। उसे दिखाते हुए हरीश ने कहा, "यह एक अपूर्व शिल्प है। इसमें पाश, अंकुश तथा प्रभावली का काम बहुत बारीकी से किया गया है। इसे स्थापित करने के लिए उपयुक्त स्थान कौन-सा है...इसका अभी निर्णय नहीं हुआ है । सन्निधान स्थान का निर्देश करें तो बहुत उपकृत होऊँगा।" शान्तलदेवी ने सवाल का जवाब ही नहीं दिया। गौर से उस मूर्ति को देखती खड़ी रहीं। मूर्ति को एक तरफ से देखा, फिर इधर-उधर से देखा। पास से देखा, दूर से देखा। आगे-पीछे देखा। हाथ की उँगलियों को नली जैसा बनाकर उसमें से देखा। और फिर पूछा, "इसे किसने बनाया?" "मैंने ही। इस युगल-मन्दिर का कार्य निर्विन समाप्त हो, इस उद्देश्य से बड़ी श्रद्धा के साथ मैंने बनाया है। परन्तु इसके लिए स्थान कहाँ हो, इस पर पहले विचार नहीं किया। इसीलिए सन्निधान को दिखाया। किसी रेखाचित्र में इसे दिखाया नहीं गया है।" हरीश ने कहा। इतने में राजमहल का हरकारा भागा-भागा आया और उसने झुककर प्रणाम किया। पट्टमहादेवी शान्तला : भाग चार :: 321
SR No.090352
Book TitlePattmahadevi Shatala Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorC K Nagraj Rao
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages458
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & History
File Size9 MB
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