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________________ स्तुति-जिसे पहले सुना था-सुनना चाहते हैं। सुनाने की कृपा करें।" "पहचाना नहीं, दौंतों के अभाव के कारण कितना परिवर्तन हो गया है।" "वह तो शरीरधर्म है। मेरे मन को परिवर्तित न करके स्वापी बाहुबली ने मुझे ज्यों-का-त्यों सुरक्षित रखा है। वही मेरे लिए भाग्य की बात है।" __ "मानवीय मूल्य को समझनेवाले सबकी यही एकमात्र प्रार्थना होती है-हे भगवान्! मेरा मन चंचल न हो; दृढ़ विश्वासयुक्त भक्ति चरणकमलों में बनी रहे।"- इतना कहकर शान्तलदेवी ने उसी स्तोत्र का गान किया। भावानुभूति के कारण उस गान ने सम्पूर्ण वातावरण को स्वर्गीय आनन्द से भर दिया, इस भावभीनी भक्ति से सभी जन प्रभावित हुए। पुजारी ने कहा, "धन्य धन्य!। देवीजी।" फिर पाटार्चन एवं आरती सम्पन्न हुई। आरती लेकर सबके सामने अर्चक गये। मंचि दण्डनाथ के पास पहुंचे तो 'नया परिचय है' कहते हुए पुजारी ने शान्तलदेवी की ओर देखा। "ये हमारे दण्डनाथ मंचिअरसजी हैं। अभी हाल में आये हैं इसलिए आप अपरिचित हैं।" शान्तलदेवी ने परिचय दिया। "ऐसा है। बहुत प्रसन्नता हुई। तो हमारे बाहुबली स्वामी का यह प्रथम दर्शन है। अपने अभीष्ट का निवेदन करें। हमारे स्वामी बाहुबली पूर्ण करेंगे।" पुजारी ने कहा। आरती स्वीकार करनेवाले मंचिअरस की ओर मुड़कर शान्तलदेवी ने पूछा, 'शिवभक्त बाहुबली से विनती करें तो कोई गलत न होगा?" "हेगड़ेजी हमारे मार्गदर्शी हैं। उनकी शिवभक्ति से जिनभक्ति का सम्बन्ध जो है उससे किसी तरह की आपत्ति तो हुई नहीं न?" कहकर आँख मुंदकर हाथ जोड़े मंचिमरस ने प्रार्थना की। बाद में उस पहाड़ से सब उतरने लगे। उतरते हुए बीच में रेविमय्या ने कहा, "सामने के छोटे पहाड़ पर से क्यों न एक बार आहुबली स्वामी का दर्शन किया जाए?" उसके कहने में विनीत प्रार्थना का भाव था। "ऐसा ही हो। उसमें क्या है। तुमको अब वहाँ से क्या दिखेगा-सो भी जान लेंगे।" शान्तलदेवी बोली। "उसमें क्या विशेषता है ?" मंचिअरस ने पूछा। "यहाँ जाने पर आप स्वयं देखेंगे।" शान्तलदेवी ने कहा। निश्चित दिन से एक दिन पहले ही राज-दम्पती बेलुगोल पहुंच गये थे इसलिए दोपहर के आराम के बाद सब लोग छोटे पहाड़ पर चढ़े। रेविमय्या दत्तचित्त होकर ध्यान करने की मुद्रा में बाहुबली स्वामी को अपलक पट्टमहादेवी शान्तला : भाग तीन :: 55
SR No.090351
Book TitlePattmahadevi Shatala Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorC K Nagraj Rao
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages483
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & History
File Size9 MB
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